महिला दिवस पर विशेषः सिलाई-बुनाई से महिलाओं की जिंदगी संवार रही चंबा की ‘बीना भंडारी’

कहा जाता है कि एक पुरुष की सफलता में एक महिला का बहुत बड़ा योगदान होता है। महिला अपने परिवार की खुशियों के लिए न जाने कितने त्याग करती है। इतना ही नहीं, आज के समय में महिलााओं ने खुद को बेहद सशक्त बना लिया है। महिलाएं अपनी घर गृहस्थी के साथ तमाम क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। साथ ही घर और वर्कप्लेस, दोनों की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। महिलाओं के त्याग, समर्पण और क्षमताओं को सम्मान देने के लिए हर साल 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। जो महिलाओं के सम्मान, साहस और शक्ति को समर्पित दिन होता है। यह दिन समाज में महिला सशक्तिकरण, जागरुकता और समान अधिकार को बढ़ावा देने की याद भी दिलाता है।

Uttarakhand

नई टिहरी।

चंबा निवासी बीना भंडारी अपने हुनर के बल पर गांव की युवती और महिलाओं को सिलाई, बुनाई, ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण देकर उन्हें आर्थिक स्वावंलबन की राह दिखा रही है। इससे कई युवतियां और महिलाएं स्वरोजगार से जुड़कर अपने परिवार का आर्थिक सहयोग कर अपने सपने भी साकार कर रही है।

चंबा निवासी बीना भंडारी ने शादी के बाद सिलाई-कड़ाई, ब्यूटी पार्लर और बुनाई का प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बनने का सपना बुना। प्रशिक्षण के बाद आत्मविश्वास के साथ घर पर ही स्वरोजगार शुरू कर दिया। इसके लिए घर पर ऊन से कपड़े बुनना शुरू कर दिया। बीना का हुनर रंग लाया तो उनके उत्पादों को बाजार मिलने लगा। हाथ से बुने स्वेटर हाथों हाथ बिकने लगे। इसके साथ ही बीना ने युवतियों और महिलाओं को भी इसका प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।

फिर क्या था बीना को सिलाई-बुनाई के रोजगार से अच्छी खासी कमाई हो रही है। बीना से प्रशिक्षण लेने के बाद अन्य महिलाएं भी घर पर ही सिलाई-कढ़ाई और बुनाई का काम करके तीन से पांच हजार रुपए प्रतिमाह कमा लेती हैं। बीना कहती हैं कि घर के खर्च पूरा करने की जिम्मेदारी सिर्फ पुरुषों की ही नहीं है, बल्कि महिलाएं भी इसमें अपना हाथ बंटा सकती हैं। इसके लिए महिलाओं को भी खाली समय में स्वरोजगार के लिए आगे आना चाहिए।

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