नई टिहरी।
भू वैकुंठ-भगवान बद्रीनाथ धाम के लिए नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में तिल का तेल निकाला गया। इस दौरान पीली साड़ी पहनकर सुहागिन महिलाओं ने विधि-विधान के साथ तिल का तेल पिरोने की रस्म पूरी की गई। राजदरबार में निकाले गए तिलों के तेल से ही अगले छह माह तक भगवान बदरीनाथ की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है। इससे पूर्व श्रीबद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी व सदस्य राजदरबार में पहुंचे थे।
शुक्र वार सुबह नरेंद्रनगर राजदरबार में महारानी राज्यलक्ष्मी शाह के नेतृत्व में स्थानीय सुहागिनों ने परंपरागत तरीके से तिल का तेल निकाला गया। तेल पिराने के बाद पं. संपूर्णानंद जोशी की अगुवाई में तिलों के तेल को शुद्ध बर्तन में विशेष जड़ी-बूटी डालकर पकाया गया। बाद में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद सादगी से तेल कलश डिम्मर गांव के लिए रवाना हुआ।
अब 14 मई तक डिम्मर गांव स्थित श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर में तेल कलश का पूजन होगा। 15 मई को तेल कलश बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगा। जोशीमठ, पांडुकेश्वर होते हुए तेल कलश 17 मई को यात्रा बदरीनाथ धाम पहुंच जाएगा। 18 मई को प्रातः 4 बजकर 15 मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे। इसके साथ ही तेल कलश को धाम के गर्भ गृह में स्थापित कर दिया जाएगा।
बताते चलें कि हिंदूओं के सर्वोच्च तीर्थ बदरीनाथ धाम की ग्रीष्मकालीन पूजा के दौरान बद्रीविशाल भगवान को तिल के तेल से अभिषेक की प्रक्रिया सदियों पुरानी है। इस परम्परा को निभाने के लिए टिहरी राजमहल में पवित्रता से सुहागिन महिलाएं तिल का तेल निकालती हैं। इस परम्परा को ही भगवान बदरीनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया की शुरूआत मानी जाती है। तेल कलश लेने के लिए डिमरी धार्मिक पंचायत के प्रतिनिधि अंकित डिमरी, पंकज डिमरी, नरेश डिमरी, अरविंद डिमरी नरेंद्रनर राजदरबार पहुंचे।