सुप्रभातम्: सकारात्मकता की शक्ति

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

बड़ी सफलता उन्हीं लोगों को मिलती है, जिनकी सोच सकारात्मक होती है। अगर नकारात्मक सोच के साथ कोई काम किया जाता है तो सफल होने की संभावनाएं बहुत कम रहती हैं। अगर हम अच्छी बातें बार-बार पढ़ते-सुनते हैं तो हमारी सोच सकारात्मक बनने लगती है। इस संबंध में एक संत का एक किस्सा बहुत प्रसिद्ध है। जानिए ये किस्सा…


एक व्यक्ति रोज एक संत के उपदेश सुनने आता था। एक दिन वह संत से बोला, मैं आपके उपदेश रोज सुनता हूं, लेकिन रोज-रोज प्रवचन सुनने से क्या लाभ मिलता है, ये बात मेरी समझ में नहीं आ रही है। आप ही बताइए रोज-रोज एक जैसी बातें क्यों सुननी चाहिए?

संत ने उस व्यक्ति की बात सुनी और कुछ बोले नहीं, उन्होंने पास में रखी हुई एक हथौड़ी उठाई और वहीं जमीन में गड़े हुए एक खूंटे पर मार दी। ऐसा करने के बाद वे अपना दूसरा काम करने लगे।

संत को व्यस्त देखकर वह व्यक्ति बिना कुछ बोले ही वहां से चला गया। अगले दिन वह फिर आया और वही बात पूछी कि हमें बार-बार प्रवचन सुनने से क्या लाभ मिलते हैं?

संत ने फिर वही काम किया। उन्होंने हथौड़ी उठाई और उसी खूंटे के ऊपर मार दी। उन्होंने कुछ कहा नहीं। उस युवक ने सोचा कि आज भी संत व्यस्त हैं। इसके बाद वह तीसरे दिन फिर आया और वही प्रश्न पूछा। संत ने भी वही काम किया, हथौड़ी उठाकर खूंटे पर मार दी।

इस बार वह व्यक्ति थोड़ा गुस्सा हो गया। उसने कहा कि मैं तीन दिनों से आपसे एक प्रश्न पूछ रहा हूं, लेकिन आप उसका उत्तर नहीं दे रहे हैं। ऐसा क्यों?

संत ने कहा कि भाई मैं तो रोज तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दे रहा हूं। मैं इस खूंटे पर हथौड़ी मारता हूं तो जमीन में इसकी पकड़ मजबूत होती है। अगर ये खूंटा मजबूत नहीं होगा तो आसानी से उखड़ जाएगा। ठीक इसी तरह जब हम बार-बार अच्छी बातें पढ़ते हैं, सुनते हैं तो हमारी सोच भी सकारात्मक बनती है। बुरे विचारे दूर होने लगते हैं। सकारात्मक सोच की वजह से हम मुश्किल परिस्थितियों को सही तरीके से हल कर पाते हैं और बड़े-बड़े कामों में भी सफलता हासिल कर लेते हैं। इसलिए हमें रोज अच्छी बातें पढ़ते-सुनते रहना चाहिए।

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