सुप्रभातम्: भगवान से क्या मांगना चाहिए?

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

ज्यादातर लोग इसी बात से असमंजस में रहते हैं कि आखिर हमें भगवान से मांगना क्या चाहिए? ऐसी कौन सी चीज है जो भगवान हमें मांगने के तुरंत बाद दे देंगे, ताकि हम उस चीज से जीवन भर खुश रह सकें

माफ़ कीजिएगा, पर ऐसी कोई भी भौतिक वस्तु नहीं है जिससे हम ताउम्र खुश रह सकते हैं पर ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिसको हम भगवान से मांगने के बाद खुश रह सकते है।

पर यह बात ज्यादातर लोगों को समझ नहीं आती और वह अक्सर यह सोचते हैं कि आखिर ऐसी कौन सी चीज हो सकती हैं? जिससे हम ज्यादा से ज्यादा अपने जीवन में खुश रह पाएंगे।

यही ज्ञान लोगों के पास न होने के कारण ज्यादातर लोग भगवान से सिर्फ धन दौलत की मांग रखते हैं, उन्हें लगता है कि जीवन में धन दौलत होने के बाद ही सब कुछ हम हासिल कर पाते हैं, क्योंकि उनका मानना है जिन्दगी में धन दौलत के होते हुए ही हम अपने जीवन में सारी खुुुुशियां पा सकते है।

ईश्वर से मांगें या न मांगें और यदि कुछ मांगा जाए तो कितना मांगा जाए, यह सवाल भक्तों के मन में सदैव से उठता रहता है। इसका एक बड़ा प्यारा जवाब तुलसीदासजी ने उस समय दिया जब श्रीराम का राजतिलक हो रहा था। उन्होंने लिखा- ‘बिप्रन्ह दान बिबिधि बिधि दीन्हे। जाचक सकल अजाचक कीन्हे॥’ श्रीराम ने ब्राह्मणों को अनेक प्रकार के दान दिए और संपूर्ण याचकों को अयाचक बना दिया यानी मालामाल कर दिया।

इस दृश्य से यह तो तय है कि भगवान देने को तैयार हैं। अब तय भक्त को करना है कि क्या मांगा जाए? क्योंकि भगवान जब भी कुछ देते हैं तो मालामाल कर ही देते हैं। इसका उत्तर ध्रुव ने दिया था। जब ध्रुव को परमात्मा के दर्शन हुए थे तो परमात्मा ने अपने आप आशीर्वाद दे दिया था कि तुम्हारे यहां सम्पत्ति हो, संतानें हो, तुम्हारा राज्य अच्छा चले। इसके बाद भगवान अंतरध्यान हो गए।

ध्रुव ने सोचा कि यह सब तो मैं अपने पुरुषार्थ से अर्जित कर लूंगा। अगर भगवान सामने खड़ा हो और देने को तैयार हो तो फिर भगवान से एक ही बात मांगना चाहिए कि ‘तुमको तुम्हीं से मांगते हैं’। इससे कम का सौदा नहीं करेंगे। अगर ईश्वर देने पर उतर आए तो फिर कहना- खुद ही को दो। बाकी संसार की चीजें तो हम अर्जित कर ही लेंगे। इसलिए भगवान तो देने को तैयार हैं, तय भक्तों को करना है- क्या लिया जाए।

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