अधिक गर्मी पड़ने की आशंका के मद्देनजर कैबिनेट सचिव ने की समीक्षा, अभी से कर लें तैयारी; केंद्र ने राज्यों को दिए यह निर्देश

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

नई दिल्ली: इस साल अभी से गर्मी ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है। जहां हर साल फरवरी में लोगों को ठंड का अहसास होता था, वहीं इस बार बीते महीने से ही सूरज आसमान से आग उगल रहा है। मार्च में भी गर्मी को लेकर रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। इस बीच, इस साल पड़ने वाली भीषण गर्मी और लू को लेकर केंद्र ने राज्यों को अलर्ट कर दिया है। मौसम विभाग का भी कहना है कि इस बार देश के अधिकतर हिस्सों में न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी होने और इसके सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने आगामी गर्मी और राहत उपायों की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए मंगलवार को एक बैठक की अध्यक्षता की। 

भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने मार्च से मई, 2023 तक की अवधि के लिए वैश्विक मौसम की घटनाओं और तापमान परिदृश्य पर एक प्रस्तुति दी। इस अवसर पर मार्च 2023 के दूसरे पखवाड़े के लिए पूर्वानुमान भी प्रस्‍तुत किया गया।

मार्च से मई 2023 तक की अवधि के लिए अपने तापमान परिदृश्‍य में आईएमडी ने सूचित किया कि पूर्वोत्‍तर, पूर्व और मध्य भारत के अधिकांश हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से ज्यादा अधिकतम तापमान रहने की संभावना है। आईएमडी ने यह भी बताया कि दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत को छोड़ देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है, जबकि दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में सामान्‍य से लेकर सामान्य से कम तापमान रहने की संभावना है।

आईएमडी ने यह भी बताया कि मार्च 2023 की शेष अवधि के दौरान तपती गर्मी रहने या लू चलने की संभावना नहीं है। हालांकि, मार्च के अंतिम सप्ताह के दौरान भारत-गंगा के मैदानी इलाकों और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री सेल्सियस अधिक रह सकता है।

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने राज्‍यों के मुख्‍य सचिवों से कहा है कि जिला कलेक्‍टरों और संबंधित विभाग के सचिवों के साथ मिलकर चर्चा और संभावित लू की तैयारियों पर समीक्षा जरूर करें। केंद्रीय मंत्रालय और संबंधित अफसर राज्‍यों के साथ संपर्क में रहेंगे। इसके साथ ही भीषण गर्मी के कारण स्‍वास्थ्‍य की समस्‍याएं न हों, इसलिए अभी से लोगों को लू-लपट से बचने के लिए जागरूक करना होगा। वहीं पानी की किल्‍लत न हो, इसके लिए हैंडपंपों की मरम्‍मत, फायर ऑडिट और मॉक ड्रिल जैसी बुनियादी तैयारियां होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों से राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्‍यक सहायता मिलती रहेगी और वे समय- समय पर समन्‍वय करती रहेंगी।

सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने बताया कि जुलाई 2021 में एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा जारी गर्मी से संबंधित बीमारी पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी-एचआरआई) में लू, एवं लू से संबंधित बीमारियों से उत्पन्न चुनौतियों और प्राथमिक से तृतीयक स्तर तक इसके उचित प्रबंधन को रेखांकित किया गया है। उन्होंने राज्यों को आवश्यक दवाओं, अंतःशिरा तरल पदार्थ, आइस पैक, ओआरएस और पेयजल के मामले में स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करने की सलाह दी। उन्होंने आवश्यक आईईसी/जागरूकता सामग्री का समय पर प्रचार-प्रसार करने के महत्व पर भी बल दिया, जिसका अनुवाद क्षेत्रीय भाषाओं में भी किया जाए।

महानिदेशक (वन) [डीजी (एफ)], पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) ने वन अग्नि प्रबंधन के लिए कार्य योजना और तैयारियों को रेखांकित किया। इनमें राज्य के वन विभागों द्वारा आग लगने की व्‍यापक संभावना वाले क्षेत्रों में फायर लाइन और जल संचयन संरचनाओं का निर्माण करना, लकड़ी जलाए जाने की घटनाओं पर नियंत्रण करना और आग पर कड़ी नजर रखने वालों की नियुक्ति करना शामिल था। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने वन अग्नि के नाम से एक वन अग्नि पूर्वानुमान प्रणाली पोर्टल विकसित किया है, जो आग लगने से पहले और वास्तविक समय पर जंगल में आग लगने की चेतावनी देता है।

गृह सचिव ने एमएचए और एनडीएमए द्वारा किए गए प्रयासों को रेखांकित किया और बताया कि लू की रोकथाम और प्रबंधन के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश वर्ष 2016 में जारी किए गए थे और वर्ष 2017 और वर्ष  2019 में संशोधित किए गए थे। राज्यों को सभी स्तरों पर हीट एक्शन प्लान (एचएपी) तैयार करने और लागू करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, मार्च, अप्रैल और मई, 2023 में दूरदर्शन और आकाशवाणी पर जागरूकता कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे। एनडीएमए सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सामुदायिक संवेदीकरण मुहिम का भी नेतृत्व करेगा।

बिजली मंत्रालय के सचिव ने मार्च, 2023 तक बिजली संयंत्रों में सभी रखरखाव गतिविधियों को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पंजाब और राजस्थान राज्यों से कैप्टिव बिजली संयंत्रों द्वारा कोयले का उत्पादन बढ़ाने का भी अनुरोध किया। पेयजल और स्वच्छता, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण और पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिवों ने पेयजल, सिंचाई और चारे से संबंधित सुझाए गए उपायों को रेखांकित किया।

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