हिमशिखर खबर ब्यूरो
अभी तक आपने ऐसे कई घर देखे होंगे जहां घर के लोगों के साथ पलंग पर कुत्ते और बिल्लियां सो रही होती है। कुत्ते और बिल्ली को पालना लोग अपनी शान समझते हैं लेकिन आपने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक ऐसा घर है जहां गाय और बैल पलंग पर बड़े इत्मीनान से सोते हैं। इस घर में गाय और बैल भगवान के रूप में पूजे जाते हैं और उनके साथ परिवार के सदस्यों का एक अनोखा रिश्ता देखने को मिलता है। गो भक्ति के नाम पर कई धनाढ्य लोग लाखों रुपये दान करते हैं। कुछ लोग टीवी पर डिबेट करते भी देखे जा सकते हैं लेकिन असल गौ भक्ति क्या होती है ? यह इस परिवार क्या को देखकर समझा जा सकता है।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के एक छोटे से गांव कोसागोंदी का एक किसान परिवार गोमाता की अनोखी सेवा को लेकर फोटो सोशलमीडिया में वायरल हो रही हैं। इस गो भक्त ने 24 गायों के लिए अपने घर में अलग कमरा बना रखा है। यहां उनके लिए स्पेशल बेड भी लगा हुआ है। साहू परिवार नौ वर्षों से अपने बच्चों की तरह गोमाता की सेवा करता है। सबके नाम भी रखे गए है। अपना नाम सुनते ही गाय और बछड़े दौड़े चले आते है।
बालोद जिले के गुरुर ब्लाक मुख्यालय से लगभग 12 किमी दूर ग्राम कोसागोंदी के किसान पन्नुराम साहू और उनकी पत्नी ललिता साहू गोमाता के भक्त हैं। उन्होंने अपने घर में एक अलग कमरा बनवा रखा है। यहां पर सुबह से लेकर शाम तक बच्चों की तरह गो माता की सेवा की जा रही है। कमरे में गो माता के लिए बिस्तर और कपड़े की भी व्यवस्था की गई है। उनके घर में सात गाय और 17 बछड़े यानी यानी कुल 24 गोवंश है। सभी के अलग अलग नाम भी रखे है। इन गायों को नाम से पुकारा जाता हैं और वे समझ भी जाते हैं।
बालोद जिले के गुरुर ब्लाक मुख्यालय से लगभग 12 किमी दूर ग्राम कोसागोंदी के किसान पन्नुराम साहू और उनकी पत्नी ललिता साहू गोमाता के भक्त हैं। उन्होंने अपने घर में एक अलग कमरा बनवा रखा है। यहां पर सुबह से लेकर शाम तक बच्चों की तरह गो माता की सेवा की जा रही है। कमरे में गो माता के लिए बिस्तर और कपड़े की भी व्यवस्था की गई है। उनके घर में सात गाय और 17 बछड़े यानी यानी कुल 24 गोवंश है। सभी के अलग अलग नाम भी रखे है। इन गायों को नाम से पुकारा जाता हैं और वे समझ भी जाते हैं। गो माताओं को ऐसी खास ट्रेनिंग दी गई है कि ये मूत्र का त्याग भी घर के बाहर रखे डिब्बे में करती है।