उपलब्धि: टिहरी की श्रुतिका सिलस्वाल का राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कार में चयन, आप भी दें बधाई

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

चंबा। टिहरी की बेटी की प्रतिभा का डंका देश और दुनिया में बजा है। नरेंद्रनगर के कखीलबेड़धार गांव की श्रुतिका सिल्सवाल का चयन राष्ट्रमंडल युवा पुरुस्कार के लिए हुआ है। खास बात यह है कि सिंपल फाउंडेशन की एसोसिएट डायरेक्टर श्रुतिका के सरकारी स्कूलों को सशक्त बनाने के लिए बनाए गए मॉडल को जल्द ही उत्तराखण्ड के 100 से अधिक सरकारी स्कूलों में लागू किया जाएगा। जबकि दो सालों से फाउंडेशन नरेंद्रनगर क्षेत्र के पांच सरकारी स्कूलों में काम कर रहा है।

नरेंद्रनगर के कखीलबेड़धार गांव की श्रुतिका सिल्सवाल की प्रारंभिक शिक्षा डीएसबी स्कूल ऋषिकेश से हुई। इसके बाद उसने ओमान से इंटरमीडिएट की शिक्षा ग्रहण की। दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकाम किया। टीचर फार इंडिया से दो साल की फेलोशिप करने के बाद इसी संगठन से प्रोग्राम मैनेजर पद से कैरियर की शुरूआत की। 2021से श्रुतिका सिंपल एजुकेशन फाउंडेशन में एसोसिएट डायरेक्टर के पद पर कार्य कर रही है। 2022 में उनका चयन दलाई लामा फेलोशिप के लिए किया गया था। यह फेलोशिप एक साल के लिए होती है, जिसमें दुनिया भर से यंग सोशल इनोवेटर्स फेलो के रूप में चुने जाते हैं। बताया कि अभी यह फेलोशिप को लेकर अमेरिका में है।

सिंपल फाउडेशन अभी टिहरी जनपद के पांच सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में काम कर रहा है। श्रुतिका के पिता विनोद सिलस्वाल एमआईटी कॉलेज ढालवाला में कॉमर्स के शिक्षक हैं। जबकि मां मीनाक्षी सिल्सवाल चंबा के निकट जीआईसी नागणी में विज्ञान की शिक्षिका हैं।

श्रुतिका ने खास बातचीत में बताया कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय व्यासी, कौडियाला, दोगी, कुंडिया और लोडसी में कार्य किया जा रहा है। इसके लिए पांचों स्कूलों में एक-एक युवती को दो-दो महीने की ट्रेनिंग देने के बाद रखा गया है। इसमें बच्चों को भावनात्मक सुरक्षा संबंधी ज्ञान दिया जाता है। इससे बच्चों में इमोशन के बारे में जागरूकता आने लगी है। खास बात यह है कि इससे शिक्षकों को बच्चों के व्यवहार का पता चल जाता है, जिससे वह उस दिन क्लास में उसी हिसाब से बच्चे के साथ व्यवहार करता है। बच्चों को योग के बारे में भी बताया जाता है। इसके साथ ही बच्चों को एकेडमिक लर्निंग और सोशल इमोशनल लर्निंग का ज्ञान भी दिया जाता है। श्रुति ने बताया कि पहाड़ से पलायन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए यदि बच्चों में बचपन से ही उसकी माटी के प्रति लगाव पैदा किया जाए, तो वह भविष्य में शिक्षा ग्रहण करके यहां के प्रति जुड़ाव रखेगा और विकास में अपना सहयोग करेगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए बच्चों को ज्ञान दिया जा रहा है।

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