हिमशिखर धर्म डेस्क
हनुमान जी और अहिरावण से जुड़ा प्रसंग है। श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ लंका पहुंच गए थे। श्रीराम ने युद्ध टालने की बहुत कोशिशें कीं, लेकिन रावण अहंकार की वजह से नहीं माना और युद्ध शुरू हो गया।
मायावी अहिरावण की माया में फंस गए थे श्रीराम और लक्ष्मण
श्रीराम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था। रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण को युद्ध के लिए बुला लिया था। अहिरावण माया रचने में पारंगत था। उसने ऐसी माया रची की, उसमें श्रीराम और लक्ष्मण के साथ ही पूरी वानर सेना फंस गई थी।
अहिरावण अपने भाई विभीषण के रूप में श्रीराम और लक्ष्मण के शिविर में पहुंचा था और धोखे से श्रीराम के साथ लक्ष्मण को बंदी बनाकर किसी गुप्त स्थान पर ले गया था।
पूरी वानर सेना अहिरावण की माया को समझ नहीं सकी। जब उसकी माया हटी तो श्रीराम और लक्ष्मण उनके शिविर में नहीं थे। सभी ने उन्हें बहुत खोजा, लेकिन राम-लक्ष्मण दिखाई नहीं दिए। हनुमान जी को भी ये समझ नहीं आ रहा था कि राम-लक्ष्मण कहां हैं और किसने उनका हरण किया है?
विभीषण ने बताया था अहिरावण के बारे में
विभीषण ने हनुमान जी को बताया कि मेरा रूप सिर्फ अहिरावण धारण कर सकता है और ये पक्का है कि उसी ने राम-लक्ष्मण का हरण किया है।
विभीषण ने हनुमान जी को अहिरावण के गुप्त स्थान के बारे जानकारी दी। विभीषण ने हनुमान जी को बताया कि अहिरावण ने पांच दिशाओं में पांच दीपक जलाए हैं। जब ये पांचों दीपक एक साथ बुझेंगे, तब ही अहिरावण की शक्तियां खत्म होंगी।
इसके बाद हनुमान जी श्रीराम और लक्ष्मण की खोज में जुट गए। बहुत से प्रयास किए, लेकिन कहीं भी राम-लक्ष्ण के बारे में कोई सूचना नहीं मिल रही थी।
हनुमान जी एक पेड़ के नीचे पहुंचे और वहां वे सोच रहे थे कि अहिरावण कहां होगा? श्रीराम और लक्ष्मण को उसने कहां बंदी बनाकर रखा होगा?
पक्षियों की बातें सुनकर हनुमान जी को मिली अहिरावण की जानकारी
जिस पेड़ के नीचे हनुमान जी थे, उसी समय पेड़ के पर दो पक्षी आपस में बातें कर रहे थे कि आज अहिरावण इंसानों की बलि देने वाला है।
हनुमान जी पशु-पक्षियों की भाषा जानते थे। इन दो पक्षियों की बातें सुनकर हनुमान जी जान गए कि श्रीराम और लक्ष्मण यहीं कहीं आसपास ही हैं।
पक्षियों की बात सुनकर हनुमान जी पूरी ऊर्जा के साथ एक बार फिर उस क्षेत्र में श्रीराम और लक्ष्मण की खोज में लग गए। जल्दी ही हनुमान जी को अहिरावण का गुप्त स्थान मिल गया। हनुमान जी जब अहिरावण के गुप्त स्थान पर पहुंचे तो वहां उन्होंने पांच दीपक देखे। इसके बाद उन्होंने पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपक एक साथ बुझा दिए। इसके बाद अहिरावण की शक्तियां खत्म हो गई थीं। हनुमान जी ने अहिरावण का अंत किया और वहां से श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया।
इस किस्से में हनुमान जी ने हमें सीख दी है कि जब हमारा लक्ष्य बड़ा हो तो हमें छोटी-छोटी जानकारियों पर भी बारिकी से नजर रखनी चाहिए। कभी-कभी छोटी सी जानकारी ही हमारी बड़ी समस्या को हल कर देती है और हमारे लक्ष्य पूरे हो जाते हैं।