- योग और अध्यात्म में मानव शरीर को तीन आयामों में समझा जाता है: स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, और कारण शरीर।
- स्थूल शरीर भौतिक शरीर है, जो हड्डियों और मांस से बना है और इसे देख और स्पर्श किया जा सकता है।
- सूक्ष्म शरीर मन, बुद्धि, अहंकार और चित्त से मिलकर बना होता है और यह विचारों एवं भावनाओं का केंद्र है।
- कारण शरीर, जिसे आनन्दमय कोष कहा जाता है, आत्मा से सबसे अधिक जुड़ा होता है और यह अविनाशी होता है।
हिमशिखर धर्म डेस्क
मनुष्य के अस्तित्व को तीन हिस्सों में बाँटा गया है। सूक्ष्म, स्थूल और कारण। यह तीन शरीर माने गये हैं। जिस प्रकार चमड़ी के नीचे माँस और माँस के भीतर रक्तवाही पतले तन्तु रहते हैं उसी प्रकार दृश्य सत्ता के रूप में हाड़ माँस का बना सब को दिखाई पड़ने वाला चलता−फिरता, खाता−सोता, स्थूल शरीर। क्रियाशीलता इसका प्रधान गुण है। इसके नीचे वह सत्ता है जिसे सूक्ष्म शरीर कहते हैं। इसका कार्य समझ और केन्द्र मस्तिष्क है। शरीर विज्ञान में एनाटॉमी—फिजियोलॉजी—दो विभाजन हैं। मनःशास्त्र को साइकोलॉजी और पैरा साइकोलॉजी इन दो भागों में बाँटा गया है। मन के भी दो भाग हैं—एक सचेतन जो सोचने विचारने के काम आता है और दूसरा अचेतन जो स्वभाव एवं आदतों का केन्द्र है। रक्त संचार, श्वास−प्रश्वास, आकुँचन−प्रकुँचन, निमेष उन्मेष जैसी स्वसंचालित रहने वाली क्रियाएं इस अचेतन मन की प्रेरणा से ही संभव होती हैं। तीसरा कारण शरीर भावनाओं का—मान्यताओं एवं आकाँक्षाओं का केन्द्र है; इसे अन्तःकरण कहते हैं। इन्हीं में ‘स्व’ बनता है।
स्थूल शरीर आपके हांड मांस से बना भौतिक शरीर है, जिसे आप देख और स्पर्श कर सकते हैं। यह शरीर ही पांच भूतों यानि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश से मिलकर बना है। इस शरीर से ही आपके इन्द्रियाँ जुड़ी हैं, जो आपको भौतिक सुख देती हैं। भौतिक शरीर को देखभाल और पोषण की आवश्यकता होती है। ज्यादातर लोग केवल इसी शरीर के प्रति जागरूक होते है। स्थूल शरीर जन्म के समय उत्पन्न होता है और मृत्यु के समय नष्ट हो जाता है। आप जब जगे होते हैं, तो इस शरीर को महसूस करते हैं।
सूक्ष्म शरीर
सूक्ष्म शरीर वह आंतरिक शरीर है जिसे इंद्रियों से अनुभव नहीं किया जा सकता। यह मन, बुद्धि, अहंकार और चित्त से मिलकर बना होता है। सूक्ष्म शरीर या सूक्ष्म शरीर मन और प्राण ऊर्जा से बना अर्ध-भौतिक शरीर है, जो स्थूल शरीर और कारण शरीर को जोड़कर रखता है। यह भौतिक शरीर को भी सजीव करता है। सूक्ष्म शरीर हमारे विचारों, भावनाओं और इच्छाओं का केंद्र होता है और इसे हम तभी महसूस कर पाते हैं जब हम स्वप्न देखते हैं। सूक्ष्म शरीर हमारे पिछले जन्मों के कर्मों और संस्कारों का भंडार होता है।
कारण शरीर सूक्ष्म शरीर से भी छोटा शरीर है, जिसे अनुभव करना अत्यंत कठिन होता है। इसे आनन्दमय कोष भी कहा जाता है। यह शरीर आत्मा से सबसे अधिक जुड़ा होता है। यह सबसे जटिल शरीर है क्योंकि यह अज्ञान से उत्पन्न होता है और खुद को देखने में असमर्थ होता है। यह शरीर अविनाशी भी होता है। कारण शरीर को हम गहरी, स्वप्नहीन नींद में अनुभव करते हैं। इस अवस्था में, स्थूल और सूक्ष्म शरीर निष्क्रिय हो जाता है और हम स्वयं और समय की अपनी समझ खो देते हैं। यह शरीर हमें चेतना से भी अलग रखता है।