पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज मौनी अमावस्या है
क्या है महत्व
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन को माघ अमावस्या और दर्श अमावस्या के नाम से भी बुलाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार मौनी अमावस्या पर संगम पर देवताओं का आगमन होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक माह के समान पुण्य मास कहा गया है। इसी महात्म्य के चलते गंगा तट पर भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर कल्पवास करते हैं।
इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि ये मौन अमावस्या है और इस व्रत को करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता है। इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है। शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें।
क्यों है संगम स्नान का महत्व
संगम में स्नान के महत्व को बताते हुए एक प्राचीन कथा का उल्लेख किया जाता है। ये कथा सागर मंथन से जुड़ी है। इसके अनुसार जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए उस समय देवताओं एवं असुरों में अमृत कलश के लिए खींचा-तानी शुरू हो गयी।
इस छीना छपटी में अमृत कलश से कुछ बूंदें छलक गईं और प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा कर गिरी। यही कारण है कि ऐसा विश्वास किया जाता है कि इन स्थानों की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है।
शास्त्रों में कहा गया है सतयुग में जो पुण्य तप से मिलता है, द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अनंत पुण्यदायी होगा। इस तिथि को स्नान के पश्चात अपने सामर्थ्य अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए, उसमें भी इस दिन तिल दान को सर्वोत्तम कहा गया है।
इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन पीपल में अर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें।
आज का भगवद् चिन्तन
संगति का प्रभाव
हमारे जीवन पर संगति का बहुत शीघ्र प्रभाव होता है। हमेशा तमोगुण और रजोगुण में रहने वाला व्यक्ति भी थोड़ी देर आकर सत्संग में बैठ जाये तो उसमें भी सकारात्मक और सात्विक ऊर्जा का संचरण होने लगता है। चेतना एक ऐसी उर्जा है जो पूरे दिन प्रवाहित होती रहती है। उसे जैसा परिवेश मिलेगा वह उसी में ढलने के लिए तैयार होने लगती है।
हमारा व्यवहार पूरे दिन बदल रहा है। अच्छे आदमी से मिलकर अच्छे होने का सोचने लगते हैं तो बुरे आदमी से मिलकर बुरे विचार भी आने लगते हैं। मन की सात्विकता बनी रहनी चाहिए। यदि रजोगुण बढ़ा तो लोभ बढ़ेगा और लोभ बढ़ा तो ज्यादा भाग दौड़ होगी। जीवन में बाहर की दौड़ जितनी ज्यादा होगी अंदर की शांति उतनी ही कम। सत्संग का आश्रय ही मन को स्थिर एवं स्वच्छ बनाता है।
आज का पंचांग
बुधवार, जनवरी 29, 2025
सूर्योदय: 07:11
सूर्यास्त: 17:58
तिथि: अमावस्या - 18:05 तक
नक्षत्र: उत्तराषाढा - 08:20 तक
योग: सिद्धि - 21:22 तक
करण: नाग - 18:05 तक
द्वितीय करण: किंस्तुघ्न - 05:10, जनवरी 30 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: बुधवार
अमान्त महीना: पौष
पूर्णिमान्त महीना: माघ
चन्द्र राशि: मकर
सूर्य राशि: मकर
प्रविष्टे/गते: 16