पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
जीवन में सफलता उन्हीं लोगों को मिलती है, जिनके पास अच्छे सलाहकार होते हैं। अगर सलाह देने वाले लोग सही नहीं हैं तो बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं और असफलता का सामना करना पड़ता है। ग्रंथों के किस्सों से समझिए सलाह लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…
हमारा सलाहकार विद्वान होना चाहिए
हमें सफलता मिलेगी या नहीं, ये हमारे सलाहकार पर भी निर्भर करता है। महाभारत में पांडवों ने श्रीकृष्ण को अपना सलाहकार बनाया था और श्रीकृष्ण की हर बात पांडवों ने मानी। इसी वजह से पांडवों ने विशाल कौरव सेना को भी पराजित कर दिया।
हमें अपना सलाहकार ऐसे व्यक्ति को बनाना चाहिए, जो विद्वान हो और हमारा हित चाहता हो। सही सलाह हमें सफल बना देती है।
सही समय पर मिली सही सलाह जरूर मानें
रामायण में श्रीराम पूरी वानर सेना के साथ लंका पहुंच गए थे। उस समय विभीषण ने रावण को सलाह दी थी कि वह सीता को सकुशल लौटा दे और राम से संधि कर ले। रावण अहंकारी था, उसने विभीषण की सलाह को नजरअंदाज कर दिया और विभीषण को अपमानित किया।
विभीषण ने रावण को सही समय पर सही सलाह दी थी, लेकिन रावण ने अहंकार के कारण विभीषण की सलाह नहीं मानी। इसका नतीजा ये हुआ कि रावण के पूरे वंश का ही नाश हो गया।
अगर सही समय पर हमें सही सलाह मिल रही है तो उस पर तुरंत अमल करना चाहिए, वर्ना बने-बनाए काम बिगड़ जाते हैं और जीवन में परेशानियां बढ़ जाती हैं।
सही सलाह को नजरअंदाज न करें
महाभारत में धृतराष्ट्र ने अपना सलाहकार विदुर को बनाया था। विदुर ने धृतराष्ट्र को कई बार धर्म-अधर्म बताया था। विदुर ने दुर्योधन के गलत कामों को रोकने की सलाह भी धृतराष्ट्र को दी थी, लेकिन धृतराष्ट्र ने विदुर की सलाह को हर बार नजरअंदाज किया और दुर्योधन का पक्ष लिया। इसका नतीजा ये हुआ कि पांडवों के हाथों पूरे कौरव वंश का नाश हो गया।
जो लोग धर्म-अधर्म जानते हैं, जिनकी नीयत अच्छी है, जो हमेशा सही सलाह देते हैं, उन लोगों की बातों नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, वर्ना जीवन में गंभीर परिणाम मिल सकते हैं।
मंथरा की गलत सलाह से राम को जाना पड़ा वनवास
रामायण में मंथरा कैकेयी की दासी थी। मंथरा का स्वभाव ऐसा था कि वह बने बनाए अच्छे काम को भी बिगाड़ देती है। वह हमेशा ही कैकेयी को राम के विरुद्ध भड़काती रहती है, जब राम के राज्याभिषेक की घोषणा हुई तो उसने कैकेयी को इतना भड़काया की वह राम के खिलाफ हो गई।
मंथरा की सलाह पर ही कैकेयी ने भरत के लिए राज और राम के लिए वनवास मांगा था। बाद में कैकेयी इस बात के लिए जीवन भर पछतावा रहा, लेकिन उस समय मंथरा की गलत सलाह और कैकेयी की जिद की वजह से राम को वनवास जाना पड़ा, पुत्र वियोग में राजा दशरथ ने प्राण त्याग दिए, भरत, लक्ष्मण, परिवार के लोगों और अयोध्या वासियों को दुखों का सामना करना पड़ा।
हमें किसी की सलाह मानते समय उस व्यक्ति के स्वभाव को भी ध्यान रखना चाहिए। हमेशा ऐसे लोगों की सलाह मानें, जिनकी नीयत दूसरों की भलाई करने की होती है।
आज का पंचांग
बृहस्पतिवार, जनवरी 30, 2025
सूर्योदय: 07:10
सूर्यास्त: 17:59
तिथि: प्रतिपदा – 16:10 तक
नक्षत्र: श्रवण – 07:15 तक
क्षय नक्षत्र: धनिष्ठा – 05:50, जनवरी 31 तक
योग: व्यतीपात – 18:33 तक
करण: बव – 16:10 तक
द्वितीय करण: बालव – 03:06, जनवरी 31 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: माघ
पूर्णिमान्त महीना: माघ
चन्द्र राशि: मकर – 18:35 तक
सूर्य राशि: मकर
प्रविष्टे/गते: 17