जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता को अपनाना, मजबूत मांग सृजित करने के लक्षित उपाय और पर्याप्‍त वित्तपोषण के विकल्‍प : आर्थिक समीक्षा 2024-25

वर्ष 2070 तक निवल शून्‍य उत्‍सर्जन प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य: व्‍यापक ग्रिड अवसंरचना में सुधार और इस परिवर्तनकारी बदलाव हेतु महत्‍वपूर्ण खनिजों के सुरक्षित स्रोतों के निवेश में प्राथमिकता

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आर्थिक समीक्षा में ऊर्जा संरक्षण और सतत भवन संहिता (ईसीएसबीसी) को आगे बढ़ाते हुए वर्टिकल उद्यानों के लिए स्‍पष्‍ट दिशा-निर्देश देने का सुझाव शामिल

जीवाश्‍म ईंधन के विकल्‍प के रूप में परमाणु ऊर्जा विश्‍वसनीय स्रोत, सहज बदलाव को सुविधाजनक बनाने के लिए दूरगामी सोच आवश्‍यक

एडवांस्‍ड अल्‍ट्रा सुपर-क्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके कोयले के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना एक प्रमुख कार्यनीति रही है जो, अर्थव्‍यवस्‍था पर जिसके सकारात्‍मक प्रभाव डाल सकती है

बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकियों से संबंधित अनुसंधान और विकास तथा संबंधित अपशिष्‍ट का पुनर्चक्रण और स्‍थायी निपटान महत्‍वपूर्ण कारक हैं

मिशन लाइफ को बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान के द्वारा जन आंदोलन बनाने की आवश्‍यकता : आर्थिक समीक्षा 2024-24

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में प्रस्‍तुत आर्थिक समीक्षा 2024-25 में विकसित भारत का प्रतिबिंब नजर आया। भारत वर्ष 2047 तक विकसित राष्‍ट्र का दर्जा हासिल करने और महत्‍वपूर्ण आर्थिक वृद्धि प्राप्‍त करने के लिए दृढ़ संकल्‍पि‍त है, जिसमें समावेशी और सतत विकास पर ध्‍यान केन्द्रित किया जाएगा।

समीक्षा में बताया गया है कि भारत में प्रति व्‍यक्ति कार्बन उत्‍सर्जन निम्‍न है और देश कार्बन के कम उत्‍सर्जन के लिए संभावनाओं का पता लगाने के प्रति समर्पित है, जिसके साथ-साथ किफायती ऊर्जा सुरक्षा, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और पर्यावरण संबंधी स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।

वर्ष 2070 तक निवल शून्‍य उत्‍सर्जन प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य वर्ष 2070 तक निवल शून्‍य उत्‍सर्जन प्राप्‍त करने के लक्ष्‍य के साथ भारत व्‍यापक ग्रिड अवसंरचना में सुधार और इस परिवर्तनकारी बदलाव हेतु महत्‍वपूर्ण खनिजों के सुरक्षित स्रोतों के निवेश में प्राथमिकता सुनिश्चित कर रहा है।

समीक्षा के दस्‍तावेजों में जानकारी दी गई है कि सीओपी29 के दौरान प्रस्‍तुत की गई जलवायु वित्त योजना ने न्‍यू कलेक्टिव क्‍वालिफाईड गोल (एनसीक्‍यूजी) निर्धारित करने पर ध्‍यान दिया है और विकासशील देशों के लिए वित्तीय प्रतिबद्धताओं को बढ़ाकर समर्थन की नई आशा प्रस्‍तुत की है। वर्ष 2035 तक वार्षिक 300 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने का एक छोटा लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है। यह वर्ष 2030 तक 5.1-6.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित आवश्‍यकता का एक न्‍यूनतम हिस्‍सा है। यह लक्ष्‍य वैश्विक जलवायु प्रतिक्रिया में सामान्‍य लेकिन भिन्‍न जिम्‍मेदारी का उल्‍लंघन करता है। यह जलवायु परिवर्तन बोझ को उन देशों पर असमान रूप से थोपता है, जिन्‍होंने ऐतिहासिक रूप से इस विपत्ति में योगदान नहीं किया है।

अनुकूलन को सबसे आगे लाना

आर्थिक समीक्षा 2024-25 में भारत द्वारा अनुकूलन रणनीतियों को लागू करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्‍यकता को रेखांकित किया गया है जिसमें नीतिगत पहल, सेक्‍टर-विशिष्‍ट रणनीतियां, सुदृढ़ अवसंरचना का विकास, अनुसंधान एवं विकास और अनुकूलन संबंधी प्रयासों हेतु वित्तीय संसाधनों को सुरक्षित करना शामिल है।

वर्तमान में भारत के राष्‍ट्रीय अनुकूलन योजना तैयार करने की जारी प्रक्रिया का उद्देश्‍य एक व्‍यापक और समावेशी एनएपी तैयार करना है जो सतत लक्ष्‍यों के साथ संरेखित हो और सभी क्षेत्रों और सेक्‍टरों के लिए जलवायु संबंधी प्रतिरोधकता सुनिश्चित करें।

बढ़ते शहरीकरण और शहरी क्षेत्रों में जलवायु प्रतिरोधकता का निर्माण

बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से शहरों में गर्मी के संकट, बढ़ते कार्बन उत्‍सर्जन और वायु प्रदूषण में वृद्धि को लेकर आर्थिक समीक्षा 2024-25 में विस्‍तृत समाधान पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने पर्यावरण संबंधी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है, जिसमें शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव, कार्बन उत्‍सर्जन में वृद्धि और वायु प्रदूषण में वृद्धि शामिल है। एक आशाजनक समाधान जो गति पकड़ रहा है वह वर्टिकल उद्यानों की अवधारणा है, जिसे जीवित दीवारें या वर्टिकल हरियाली प्रणाली (वीजीएस) भी कहा जाता है। ये प्रणालियां वन‍स्‍पति को वर्टिकल संरचनाओं में शामिल करती हैं, जो इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करती हैं। शहरी अग्रभागों में जीवंत हरे परिदृश्‍यों में बदलकर, वर्टिकल उद्यान इमारतों की सौंदर्य अपील को बढ़ाते हैं और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान दते हैं – थर्मल प्रदर्शन में सुधार करते हैं, कार्बन को अलग करते हैं और घनी आबादी वाले शहरों में जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं।

आर्थिक समीक्षा 2024-25 में भविष्‍य की ओर देखते हुए, भारत के विनियामक ढांचे को लगातार विकसित करने की बात कही गई है, जिसका उदाहरण है ऊर्जा संरक्षण और सतत भवन संहिता (ईसीएसबीसी) 2024 की शुरुआत है, जिसमें वर्टिकल उद्यानों के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों से शहरी वायु गुणवत्ता में उल्‍लेखनीय सुधार और द्वीपों की गर्मी में उल्‍लेखनीय कमी हो सकती है।

ऊर्जा संचरण

समीक्षा में बताया गया है कि देश ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के निर्माण में उल्‍लेखनीय प्रगति की है, दूसरी तरफ व्‍यवहार्य भंडारण प्रौद्योगिकियों की कमी और आवश्‍यक खनिजों तक सीमित पहुंच के कारण इन संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग और विस्‍तार करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

आर्थिक समीक्षा 2024-25 में बताया गया है कि ऊर्जा संचरण और ऊर्जा सुरक्षा के बीच संघर्ष विकसित देशों के कार्य में स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई देता है जो पवन और सौर जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में संचरण की सीमाओं को दर्शाता है। जीवाश्‍म ईंधनों और नवीकरणीय ऊर्जा को शामिल करते हुए एक जटिल ऊर्जा प्रणाली के प्रबंधन की महत्‍वपूर्ण ‘कंजेशन कोस्‍ट’ है।

समीक्षा में माना गया है कि संसाधन निधि को देखते हुए, कोयला भारत के विकास के लिए ऊर्जा का एक विश्‍वसनीय और किफायती स्रोत है फिर भी भारत ने अर्थव्‍यवस्‍था में उत्‍सर्जन को कम करने के लिए सरकार द्वारा लागू उपायों के साथ जलवायु कार्रवाई में अग्रणी भूमिका निभाई है। कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में सुपर-क्रिटिकल (एससी), अल्‍ट्रा सुपर-क्रिटिकल (यूएससी) और हाल ही में एडवांस्‍ड अल्‍ट्रा सुपर-क्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके कोयले के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना एक प्रमुख कार्यनीति रही है जो, अर्थव्‍यवस्‍था पर जिसके सकारात्‍मक प्रभाव डाल सकती है।

परमाणु ऊर्जा : एक विश्‍वसनीय पूरक

समीक्षा में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में विशेष ध्‍यान देने की बात कही गई है। उच्‍च दक्षता और कम ग्रीनहाउस गैस उत्‍सर्जन के संबंध में परमाणु ऊर्जा के महत्‍व को देखते हुए, संभावित चुनौतियों का पहले से ही समाधान करने के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्‍यकता है, जिससे समय की जरूरत के अनुसार ऊर्जा संचरण को सुविधाजनक बनाया जा सके।

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इसके अतिरिक्‍त नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से सौर पैनलों के निपटान की चुनौती से पता चलता है कि पर्यावरण नीतियां कैसे जटिल समस्‍याएं पैदा कर सकती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों के लिए उचित अपशिष्‍ट प्रबंधन संबंधी कार्यनीतियों को लागू करना अनिवार्य है, क्‍योंकि इस मुद्दे का समाधान नहीं करने से बड़े पैमाने पर गंभीर पर्यावरणीय खतरे हो सकते हैं और सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

भारत एनडीसी लक्ष्‍य की तरफ बढ़ते हुए

भारत ने अपने एनडीसी लक्ष्‍य की तरफ एक ओर कदम बढ़ा दिया है। 30 नवम्‍बर, 2024 तक गैर जीवाश्‍म ईंधन स्रोतों से 2,13,701 मेगावॉट बिजली उत्‍पादन कैपेसिटी को इंस्‍टॉल किया गया है जो कुल कैपेसिटी का 46.8 प्रतिशत है। वर्ष 2005 और 2023 के बीच कार्बन सिंक में 2.29 बिलियन टन कार्बन डाईऑक्‍साइट के बराबर की वृद्धि हुई है, जो एनडीसी लक्ष्‍य के करीब है।

चित्र भारत की स्‍थापित उत्‍पादन क्षमता (ईंधन-वार) (30 नवम्‍बर, 2024)

नवीकरणीय ऊर्जा और हरित निवेश की दिशा में प्रगति

भारत सरकार ने हाल के दिनों में कई विविध योजनाएं, नीतियां वित्तीय पहलें और नियामक कदम उठाए हैं जिससे देश में नवीकरणीय ऊर्जा और हरित निवेश की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।

कुछ प्रमुख पहलें इस प्रकार हैं:

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
9.1.2025 तक 7 लाख से अधिक घरों में रूफटॉप सौर संयंत्र स्‍थापित किए जा चुके हैं।

राष्‍ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
इस मिशन के तहत, 4,12,000 टन प्रति वर्ष की हरित हाइड्रोजन उत्‍पादन क्षमता और 3,000 मेगावाट प्रति वर्ष इलेक्‍ट्रोलाइजर विनिर्माण क्षमता सफलतापूर्वक प्रदान की गई है।

सौर क्षेत्र में विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, उच्‍च दक्षता वाले सौर फोटो-वोल्‍टाइक मॉड्यूल संबंधी राष्‍ट्रीय कार्यक्रम के लिए विनिर्माण संबंधी प्रोत्‍साहन योजना।
अब तक48,337 मेगावाट की कुल क्षमता वाली विनिर्माण इकाइयों की स्‍थापना के लिए कार्य सुपुर्दगी पत्र जारी किए जा चुके हैं।

ईएसजी मापदंडों पर रिपोर्टिंग
उत्तरदायी व्‍यवसायिक आचरण संबंधी राष्‍ट्रीय दिशा निर्देशों के आधार पर बिजनेस रिस्‍पोन्‍सेबिलिटी एंड सस्‍टेनेबिलिटी रिपोर्ट

राष्‍ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम
राष्‍ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के तीन मुख्‍य स्‍तम्‍भ हैं : अपशिष्‍ट से ऊर्जा कार्यक्रम, बायोमास कार्यक्रम, बायो गैस कार्यक्रम।

पीएम कुसुम
31 दिसम्‍बर 2024 तक, इस योजना के तहत 7.28 लाख कृषि पंपों के सौरीकरण के साथ-साथ 397 मेगावाट की विकेंद्रीकृत सौर क्षमता स्‍थापित की गई है।

सॉवरेन ग्रीन बॉन्‍ड जारी करना
वित्त वर्ष 2023 में 16,000 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024 में 20,000 करोड़ रुपये मूल्‍य के एसजीआरबी जारी किए गए।

हरित ऋण प्रतिभूतियां का निर्गमन करने के लिए विनियामक फ्रेमवर्क
मार्च, 2024 तक, विभिन्‍न सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा कुल 6,128 करोड़ की राशि की हरित ऋण प्रतिभूतियां निर्गमित की गई हैं।

मिशन लाइफ सतत विकास के लिए – जीवन शैली का अनुकूलन

आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कम कार्बन संबंधी विकास मार्ग का अनुसरण करने और निवल कार्बन उत्‍सर्जन के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए विवेकपूर्ण उपभोग और उत्‍पादन के प्रति मानसिकता और व्‍यवहार में मौलिक बदलाव की आवश्‍यकता पर बल दिया गया है। भारत के नेतृत्‍व में पर्यावरण संबंधी जीवनशैली (एलआईएफई) नामक वैश्विक आंदोलन का उद्देश्‍य देश के सतत प्रयासों में वृद्धि करना है। भारत में एलआईएफई संबंधी पहलों को विभिन्‍न विनियामक उपायों और नीतियों के माध्‍यम से मिशन मोड़ में निष्‍पादित किया जा रहा है, जिससे अपशिष्‍ट प्रबंधन , संसाधन संरक्षण और पुनर्चक्रण जैसी पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों को प्रोत्‍सा‍हन मिलता है।

मिशन एलआईएफई के तहत एक केंद्रीय घटक के रूप में चक्रीय अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने की परिकल्‍पना भी की गई है। अनुसंधान और विकास में निवेश जैसे बैटरी भंडारण तकनीक और पुनर्चक्रण एवं अपशिष्‍ट का सावधानीपूर्वक निरास्‍त्रीकरण कुछ मुख्‍य घटक हैं जो कि नवीकरणीय स्रोतों के माध्‍यम से महत्‍वपूर्ण ऊर्जा को सुनिश्चित करते हैं।

ऊर्जा की खपत में असमानताओं को मिटाने, वायु प्रदूषण को कम करने, लागत संबंधी बचत प्राप्‍त करने और समग्र कल्‍याण तथा स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाने सहित पर्याप्‍त सह-लाभ प्राप्‍त हो सकते हैं। वर्ष 2030 तक, यह अनुमान लगाया गया है कि ये उपाय कम खपत और कम कीमतों के माध्‍यम से वैश्विक स्‍तर पर उपभोक्‍ताओं के लगभग 440 बिलियन अमेरिकी डॉलर बचा सकते हैं।

समीक्षा में वृहद जागरूकता अभियान पर जोर दिया गया है जिससे मिशन लाइफ एक जंग अभियान बन सके और इसमें लाइफ मिशन से संबंधित मूल भावना को आत्‍मसात किया जा सके। मिशन लाइफ का उद्देश्‍य स्‍कूल और कॉलेजों में युवाओं के बीच पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाना है।

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एलआईएफई के अनुरूप उपायों को लागू करके पर्यावरण- समर्थक परिणामों को बढ़ाने के लिए कई प्रमुख पहल की गई हैं। प्रमुख उल्‍लेखनीय उदाहरण ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी) के कार्यान्‍वयन के लिए ग्रीन क्रेडिट नियम, 2023 की शुरुआत की गई है। ये नियम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में स्‍वैच्छिक प्रयासों को प्रोत्‍साहित करने के लिए तैयार किए गए हैं। वृक्षारोपण अभियान ‘एक पेड़ मां के नाम’ पर्यावरण-हितैषी गतिविधियों को बढ़ावा देने और स्‍वच्‍छ भारत मिशन जैसे अभियान व्‍यक्तिगत व्‍यवहार में परिवर्तन लाने का एक और सफल उदाहरण है।

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