पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
महाभारत का युद्ध खत्म हो गया था। पांडवों ने कौरवों का पराजित कर दिया था, दुर्योधन की मृत्यु हो चुकी थी। सब कुछ ठीक होने के बाद युधिष्ठिर राजा बनने वाले थे। पांडवों के जीवन में जब सारी बातें व्यवस्थित हो गईं, तब एक दिन श्रीकृष्ण ने सोचा कि अब यहां मेरी जरूरत नहीं है, यहां सब ठीक हो गया है, इसलिए मुझे द्वारका लौट जाना चाहिए।
श्रीकृष्ण ने ये बात पांडवों से कही तो सभी दुखी हो गए। पांडवों की माता कुंती ने श्रीकृष्ण को रोकने की बहुत कोशिशें कीं, लेकिन श्रीकृष्ण ने कुंती को समझा दिया कि उनका जाना जरूरी है। इसके बाद जब वे आगे बढ़े तो युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण को रोका और कहा कि हमारी माता तो आपसे रुकने के लिए कह ही रही है और मैं भी आपसे प्रार्थना कर रहा हूं कि आप न जाएं। मैं अभी भी बहुत परेशान हूं।
श्रीकृष्ण ने कहा कि राजन अब क्या परेशानी है। तुम अभी इतना बड़ा युद्ध जीते हो, राजा बन गए हो, अब तो सब ठीक हो गया है।
युधिष्ठिर ने कहा कि मुझे ये सब कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। अपने कुटुम्ब के लोगों को मारपर ये राजपाठ मिला है। मैंने कभी सोचा नहीं था कि ये सफलता इतना दुख देगी।
श्रीकृष्ण ने मुस्कान के साथ कहा कि राजा बनना तो हमेशा से ही मुश्किल होता है। इस युद्ध में आपको धर्म बचाना था और इसके बाद आपको ही ये राजगादी मिलना थी। हमें एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि हर सफलता के पीछे एक असफलता छिपी होती है। उस असफलता और दुख के बारे में सोच-विचार करके उससे सीख लो और अपने अच्छे भविष्य के लिए वर्तमान में अच्छे काम करो।
तुम्हें ऐसा लग रहा है कि युद्ध में तुम्हारे परिवार के मारे गए तो युद्ध में तो ऐसा ही होता है। समझदार व्यक्ति वही है जो सफलता के पीछे छिपे दुख को समझता है और उससे सीख लेकर आगे बढ़ता है।
श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को ये बातें और अच्छे से समझाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने कहा कि हमें भीष्म पितामह के पास चलना चाहिए, वे तुम्हें राज धर्म के बारे में और अच्छी तरह समझा सकते हैं। इसके बाद श्रीकृष्ण और सभी पांडव भीष्म के पास पहुंचे और भीष्म ने पांडवों को राजधर्म की शिक्षा दी।
प्रसंग की सीख
हमें जब भी सफलता मिलती है तो उसका उत्सव मनाना चाहिए, लेकिन सफलता के साथ आने वाली नई बाधाओं के लिए तैयार हो जाना चाहिए। पुरानी समस्याओं से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
सूर्योदय और चंद्रोदय
सूर्योदय | 06:17 पूर्वाह्न |
सूर्यास्त | 06:02 अपराह्न |
चंद्रोदय | 09:45 पूर्वाह्न |
चंद्रास्त | 11:57 अपराह्न |
कैलेंडर
तिथि | षष्ठी दोपहर 12:51 बजे तक |
नक्षत्र | कृतिका 01:08 AM, मार्च 06 तक |
सप्तमी | |
रोहिणी | |
योग | वैधृति रात्रि 11:07 बजे तक |
करण | तैतिला दोपहर 12:51 बजे तक |
विश्वकर्मा | |
गैराज 11:47 PM तक | |
काम करने के दिन | बुधवाड़ा |
वानिया | |
पक्ष | शुक्ल पक्ष |
चन्द्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर
विक्रम संवत | 2081 पिंगला |
संवत्सर | पिंगला 02:14 PM, अप्रैल 29, 2024 तक |
शक संवत | 1946 क्रोधी |
कलायुक्त | |
गुजराती संवत | 2081 नाला |
चन्द्रमासा | फाल्गुन – पूर्णिमांत |
दायाँ/गेट | 22 |
फाल्गुन – अमंता |
राशि और नक्षत्र
राशि | मेष 08:13 AM तक |
नक्षत्र पद | कृतिका 08:13 AM तक |
वृषभ | |
कृतिका दोपहर 01:50 बजे तक | |
सूर्य राशि | कुम्भ |
कृतिका 07:28 PM तक | |
सूर्य नक्षत्र | पूर्वा भाद्रपद |
कृतिका 01:08 AM, मार्च 06 तक | |
सूर्य पद | पूर्वा भाद्रपद |
रोहिणी |