आज का पंचांग : संसार में रहना सीखो

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज मासिक दुर्गाष्टमी है। मासिक दुर्गाष्टमी कई लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है, और इसे भक्ति और अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है.

आज का विचार

कोई भी अपने लिये आलसी होने की और मुर्ख होने की योजना नही बनाता। ये सारी चीजे तो तभी होती है जब आपके पास कोई योजना नही होती है.!


भगवान कृष्ण और कर्ण के बीच का ये रहस्य

कुंति पुत्र कर्ण एक महान योद्ध था, जो कौरवों की ओर से लड़ा था। कुंती श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव की बहन और भगवान कृष्ण की बुआ थीं। कुंति का पुत्र होने के कारण कर्ण भगवान श्री कृष्ण का भाई था।

कृष्ण के कारण ही कर्ण को अपने कवच और कुंडल इंद्र को दान देने पड़े थे। दरअसल, श्रीकृष्ण ने ही अपनी नीति के तहत इंद्र से कहा था कि तुम ब्राह्मण वेश में कर्ण के पास जाओ और उससे दान के रूप में कवच और कुंडल मांग लो, क्योंकि यदि महाभारत के युद्ध में कर्ण के पास उसके कवच और कुंडल रहे तो उसे हराना मुश्किल होगा।

जब पांडवों का वनवास और अज्ञातवास समाप्त हो गया तब श्रीकृष्ण ने इस विनाशकारी युद्ध को टालने के लिए विराट नगरी से पाण्डवों के दूत के रूप में चलकर हस्तिनापुर की सभा में आकर पांडवों के लिए दुर्योधन से पांच गांव मांगे। लेकिन जब दुर्योधन ने कह दिया कि बिना युद्ध के तो सुई की नोंक के बराबर भी भूमि नहीं दी जाएगी। कहते हैं कि उस समय हस्तिनापुर से बाहर बहुत दूर तक छोड़ने के लिए श्रीकृष्ण के साथ कर्ण आया था। उस एकांत में श्रीकृष्ण ने कर्ण को बता दिया था कि वह कुंती का ज्येष्ठ पुत्र है। यह सुनकर कर्ण के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी।

उसने कहा- हे मधुसूदन मेरे और आपके बीच में जो ये गुप्त मंत्रणा हुई है, इसे आप मेरे और अपने बीच तक ही रखें क्योंकि यदि जितेन्द्रिय धर्मात्मा राजा युधिष्ठर यदि यह जान लेंगे कि मैं कुंती का बड़ा पुत्र हूं तो वे राज्य ग्रहण नहीं करेंगे। कर्ण ने आगे कहा था कि उस अवस्था में मैं उस समृद्धशाली विशाल राज्य को पाकर भी दुर्योधन को ही सौंप दूंगा। मेरी भी यही कामना है कि इस भूमंडल के शासक युधिष्ठर ही बनें।

युद्ध के सत्रहवें दिन शल्य को कर्ण का सारथी बनाया गया। उस दिन कर्ण तथा अर्जुन के मध्य भयंकर युद्ध होता है। युद्ध के दौरान श्री कृष्ण अपने रथ को उस ओर ले जाते हैं जहां पास में ही दलदल होता है। कर्ण का सारथी यह देख नहीं पाता है और उसके रथ का एक पहिया दलदल में फंस जाता है।

रथ के फंसे हुए पहिये को कर्ण निकालने का प्रयास करते हैं। इसी मौके का लाभ उठाने के लिए श्रीकृष्ण अर्जुन से तीर चलाने को कहते हैं। बड़े ही बेमन से अर्जुन असहाय अवस्था में कर्ण का वध कर देता है।

कहते हैं कि कर्ण जब अंतिम सांसे ले रहे थे तब भगवान कृष्ण ने उनकी एक अंतिम परीक्षा ली। वे उसके पास पहुंचे और कहा की तुम एक दानवीर हो क्या मुझे कुछ दान दोगे। कर्ण के पास उस वक्त कुछ नहीं था पर उसे ध्यान आया की उसका एक दांत सोने का है तो उसने उस हालत में भी एक पत्थर से अपना दांत तोड़कर कृष्ण को दान स्वरूप भेंट कर दिया। कर्ण के भाव को देख भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कर्ण से कोई भी तीन वरदान मांगने के लिए कहा।

अपने पहले वरदान में कर्ण ने कहा कि कृष्ण जब अगला जन्म लें तो सूत लोगों के उद्धार का कार्य करें। दूसरा वरदान ये मांगा कि कृष्ण अगले जन्म में वहीं पैदा हों जहां कर्ण हो। इसके बाद तीसरा वरदान कर्ण ने ये मांगा कि उनका अंतिम संस्कार ऐसी जगह किया जाए जहां कोई पाप न हुआ हो, इसी वजह से कृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार अपने हाथों के उपर किया था।

आज का भगवद् चिन्तन

संसार में रहना सीखो

जिस प्रकार पतंग उड़ाने वाला डोरी अपने हाथ में रखता है और पतंग उलझने पर तुरंत अपने पास खींच लेता है। उसी प्रकार संसार में रहते हुए भी इंद्रियों की डोर को अपनी मुट्ठी में रखने की कला हमें आनी ही चाहिए। कर्म करते समय संसार जैसा व्यवहार करो पर चेतना इतनी सम्पन्न हो कि भीतर से संसार की नश्वरता का बोध भी हमें होता रहे।

ज्ञान युक्त विचारों से कर्म करोगे तो कहीं उलझोगे ही नहीं। जब – जब मन विकारों से मुक्त होता जायेगा तब-तब बाहरी संसार भी हमें शांति का अनुभव करायेगा। जब तक तुम केवल बाहरी वस्तुओं को बदलने में लगे रहोगे तब तक जीवन में प्रसन्नतापूर्ण बदलाव नहीं आ पायेंगे। बदलाव केवल विचारों में नहीं अपितु हमारे आचरण में भी होना चाहिए।

सूर्योदय और चंद्रोदय

सूर्योदय समय06:15 पूर्वाह्न
सूर्यास्त का समय06:03 अपराह्न
चन्द्रोदय का समय11:31 पूर्वाह्न 🕐
चन्द्रास्त का समय02:05 पूर्वाह्न, मार्च 08 🌛

कैलेंडर

तिथिअष्टमी 🌒 09:18 AM तक
नक्षत्रमृगशिरा ✨ रात्रि 11:32 बजे तक
नवमी 🌒
आर्द्रा ✨
योगप्रीति 🧘 06:15 PM तक
करणबावा 🧘 09:18 AM तक
आयुष्मान 🧘
बलवा 🧘 08:43 PM तक
काम करने के दिनशुक्रवार 🗓️
कौलव 🧘
पक्षशुक्ल पक्ष 🌒

चन्द्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर

विक्रम संवत2081 पिंगला 🗓️
संवत्सरपिंगला 🗓️ 02:14 PM, अप्रैल 29, 2024 तक
शक संवत1946 क्रोधी 🗓️
कलायुक्त 🗓️
गुजराती संवत2081 नाला 🗓️
चन्द्रमासाफाल्गुन – पूर्णिमांत 🗓️
दायाँ/गेट24 🗓️
फाल्गुन – अमंता 🗓️

राशि और नक्षत्र

राशिवृषभ ♉ सुबह 11:45 बजे तक
नक्षत्र पदमृगशिरा ✨ सुबह 11:45 बजे तक 🕐
मिथुन ♊
मृगशिरा ✨ 05:37 PM तक 🕐
सूर्य राशिकुंभ ♒
मृगशिरा ✨ 11:32 PM तक 🕐
सूर्य नक्षत्रपूर्वा भाद्रपद ✨
आर्द्रा ✨ 05:28 AM, मार्च 08 तक 🕐
सूर्य पदपूर्वा भाद्रपद ✨02:42 AM, मार्च 08 तक 🕐
आर्द्रा ✨
पूर्वा भाद्रपद ✨

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