आज का पंचांग : अहिंसा में जिये

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

स्वामी विवेकानंद से कई ऐसे प्रसंग हैं, जो हमें जीवन में सही रास्ता चुनने में मदद करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने प्रारंभिक जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, इसके बावजूद वे सच्ची भक्ति करते रहे और अपने अध्यात्म के लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे।

स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था। नरेंद्र का बचपन कठिनाइयों से भरा था। पिता के निधन के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनकी मां ने जैसे-तैसे घर चलाने का प्रयास किया, लेकिन कई बार खाने की व्यवस्था भी करना कठिन हो जाता था। बालक नरेंद्र को कई बार भूखे पेट रहना पड़ता था।

वे अपनी मां से ये कहकर घर से बाहर निकल जाते थे कि उन्हें कहीं और भोजन के लिए जाना है, लेकिन असल में वे खाली पेट ही गलियों में घूमते रहते थे।

जब विवेकानंद को मिला परमहंस जी का सान्निध्य

  • कठिन परिस्थितियों में भी विवेकानंद का मन आध्यात्मिकता की ओर लगा हुआ था। वे श्रीरामकृष्ण परमहंस के सान्निध्य में आ चुके थे। किसी ने परमहंसजी को बताया कि विवेकानंद कई दिनों से भूखे हैं। तब परमहंसजी ने उन्हें माता काली की मूर्ति के समक्ष जाकर भोजन मांगने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि नरेंद्र, तुम्हारे ऊपर काली मां की कृपा है। जाओ और उनसे भोजन मांगो। वे मां हैं, तुम्हारे भोजन की व्यवस्था जरूर करेंगी।
  • परमहंस जी की बात मानकर जब विवेकानंद काली माता की मूर्ति के समक्ष पहुंचे तो उन्हें भोजन मांगने का विचार आया, लेकिन जैसे ही वे मूर्ति के सामने खड़े हुए, उनके भीतर एक गहरी अनुभूति जागृत हुई।
  • उन्हें एहसास हुआ कि जब मां स्वयं उनके सामने हैं और शांति-आनंद प्रदान कर रही हैं तो फिर भोजन जैसी तुच्छ चीज क्यों मांगनी चाहिए।
  • विवेकानंद ने सोचा कि जीवन में मांगने योग्य केवल आनंद और आत्मज्ञान है, न कि भौतिक सुख-सुविधाए। वे बिना किसी भौतिक वस्तु की कामना किए पूर्ण आनंद में डूब गए और अपनी भूख तक भूल गए।
  • बाद में जब ये बातें स्वामी विवेकानंद ने परमहंस जी को बताई तो वे बहुत भावुक हो गए और बोले कि नरेंद्र, तुम समझ गए कि जीवन में किससे क्या मांगना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद की सीख

भगवान से भौतिक सुख-सुविधाएं मांगने के बजाय आत्मविश्वास, प्रसन्नता और ज्ञान मांगना चाहिए। सुख-सुविधी की चीजें तो हम अपनी मेहनत से प्राप्त कर सकते हैं। सच्ची शांति और आनंद भगवान की कृपा से ही मिलता है।

आज का विचार

मनुष्य को अपने लक्ष्य में कामयाब होने के लिए खुद पर विश्वास होना बहुत ज़रूरी है.!

आज का भगवद् चिन्तन


अहिंसा में जिये

दूसरों के विचारों का सम्मान करना भी अहिंसा ही है तो ठीक ऐसे ही दूसरे के विचारों का मर्दन करना भी हिंसा ही समझनी चाहिए। अहिंसा का अर्थ केवल किसी के प्राणों का रक्षण ही नहीं, किसी के प्रण का और किसी के सिद्धांतो का रक्षण करना भी है। अहिंसा अर्थात वो मानसिकता जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार हो। किसी के दिल को दुखाना भी बहुत बड़ी हिंसा है।

किसी व्यक्ति को अपनी इच्छा का कर्म करने का अधिकार मिले चाहे ना मिले पर अपनी इच्छा को अभिव्यक्त करने का अधिकार अवश्य होना चाहिए। अहिंसा का सम्बन्ध किसी के शरीर को आघात पहुँचाने से ही नहीं किसी के हृदय को आघात पहुँचाने से भी है। मन से वचन से और कर्म से सदैव दूसरों के मंगल व हित का भाव ही अहिंसा का श्रेष्ठ स्वरूप है। अहिंसा युक्त विचार जीवन को पाप मुक्त भी बना देते हैं।

सूर्योदय और चंद्रोदय

सूर्योदय समय06:14 पूर्वाह्न
सूर्यास्त का समय06:03 अपराह्न
चन्द्रोदय का समय12:31 अपराह्न
चन्द्रास्त का समय03:00 पूर्वाह्न, मार्च 09

कैलेंडर

तिथिनवमी 08:16 AM तक
नक्षत्रआर्द्रा रात्रि 11:28 बजे तक
दशमी
पुनर्वसु
योगआयुष्मान 04:24 PM तक
करणकौलव 08:16 AM तक
सौभाग्य
तैतिला 07:56 PM तक
काम करने के दिनशनिवार
गैरेज
पक्षशुक्ल पक्ष

चन्द्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर

विक्रम संवत2081 पिंगला
संवत्सरपिंगला 02:14 PM, अप्रैल 29, 2024 तक
शक संवत1946 क्रोध
कलायुक्त
गुजराती संवत2081 नाला
चन्द्रमासाफाल्गुन – पूर्णिमांत
दायाँ/गेट25
फाल्गुन – अमंता

राशि और नक्षत्र

राशिमिथुन
नक्षत्र पदआर्द्रा 11:26 बजे तक
सूर्य राशिकुम्भ
आर्द्रा 05:26 PM तक
सूर्य नक्षत्रपूर्वा भाद्रपद
आर्द्रा रात्रि 11:28 बजे तक
सूर्य पदपूर्वा भाद्रपद
पुनर्वसु 05:32 AM, मार्च 09

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