आज का पंचांग : सकारात्मक दृष्टि रखें

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

सूर्योदय और चंद्रोदय

समयकीमत
सूर्योदय06:03 पूर्वाह्न
सूर्यास्त06:09 अपराह्न
चंद्रोदय10:38 अपराह्न
चंद्रास्त08:37 पूर्वाह्न

कैलेंडर

समयकीमत
तिथिपंचमी 🗓️ 12:36 AM, मार्च 20 तक
नक्षत्रविशाखा 🌠 08:50 PM तक
योगहर्षणा 🧘 05:38 PM तक
करणकौलव 🪔 सुबह 11:24 बजे तक
काम करने के दिनबुधवारा 🗓️
पक्षकृष्ण पक्ष 🌑

चन्द्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर

समयकीमत
विक्रम संवत2081 पिंगला 🗓️
संवत्सरपिंगला 🗓️ 02:14 PM, अप्रैल 29, 2024 तक
शक संवत1946 क्रोधी 🗓️
गुजराती संवत2081 नाला 🗓️
चन्द्रमासाचैत्र – पूर्णिमांत 🗓️
दायाँ/गेट6 🗓️
फाल्गुन – अमंता 🗓️

राशि और नक्षत्र

समयकीमत
राशितुला ♎️ 02:07 PM तक
नक्षत्र पदविशाखा 🌠 07:22 AM तक
वृश्चिक ♏️विशाखा 🌠 02:07 PM तक
सूर्य राशिमीना ♓️
सूर्य नक्षत्रउत्तरा भाद्रपद 🌠
सूर्य पदउत्तरा भाद्रपद 🌠
अनुराधा 🌠 03:32 AM, मार्च 20 तक
अनुराधा 🌠

आज का विचार

विश्वास किसी पर इतना करो कि वो तुम्हे छलते समय खुद को दोषी समझे, और, प्रेम किसी से इतना करो कि उसके मन में सदैव तुम्हें खोने का डर बना रहे.!!

आज का भगवद् चिन्तन

सकारात्मक दृष्टि रखें

इस दुनिया में लोग इसलिए दुखी नहीं कि उन्हें किसी बात की कमी है अपितु इसलिए दुखी हैं कि उनके सोचने का ढंग नकारात्मक है। सकारात्मक सोचो, सकारात्मक देखो, इससे आपको अभाव में भी जीने का आनन्द प्राप्त होगा। दुःख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना, प्रतिकूलताओं में भी अवसर खोज लेना इसको ही सकारात्मक दृष्टिकोण कहा जाता है।

जीवन का ऐसा कोई बड़े से बड़ा दुःख नहीं जिससे सुख की परछाइयों को न देखा जा सके। जिन्दगी की ऐसी कोई बाधा नहीं जिससे कुछ प्रेरणा न ली जा सके। रास्ते में पड़े हुए पत्थर को आप मार्ग की बाधा भी मान सकते हैं और चाहें तो उस पत्थर को सीढ़ी बनाकर ऊपर चढ़ने का साधन भी बना सकते हैं। जीवन का आनन्द तो वही लोग उठा पाते हैं, जिनका सोचने का ढंग सकारात्मक होता है।

स्वयं को जाँचें

एक व्यक्ति के बारे में मशहूर हो गया कि उसका चेहरा बहुत मनहूस है।लोगों ने उसके मनहूस होने की शिकायत राजा से की। राजा ने लोगों की इस धारणा पर विश्वास नहीं किया,लेकिन इस बात की जाँच खुद करने का फैसला किया।राजा ने उस व्यक्ति को बुला कर अपने महल में रखा और एक सुबह स्वयं उसका मुख देखने पहुँचा।

संयोग से व्यस्तता के कारण उस दिन राजा भोजन नहीं कर सका।वह भी इस नतीजे पर पहुंचा कि उस व्यक्ति का चेहरा सचमुच मनहूस है।उसने जल्लाद को बुलाकर उस व्यक्ति को मृत्युदंड देने का हुक्म सुना दिया।जब मंत्री ने राजा का यह हुक्म सुना तो उसने पूछा महाराज इस निर्दोष को मृत्युदंड क्यों दे रहे हैं ?

राजा ने कहा, ”मंत्री जी!यह व्यक्ति वास्तव में मनहूस है।आज सर्वप्रथम मैंने इसका मुख देखा तो मुझे दिन भर भोजन भी नसीब नहीं हुआ। इस पर मंत्री ने कहा “महाराज क्षमा करें, प्रातः इस व्यक्ति ने भी सर्वप्रथम आपका ही मुख देखा था। आपको तो भोजन नहीं मिला, लेकिन आपके मुखदर्शन से इस बेचारे को तो मृत्युदंड मिल रहा है।अब आप स्वयं निर्णय करें कि कौन अधिक मनहूस है।”

राजा भौंचक्का रह गया।उसने इस दृष्टिकोण से तो सोचा ही नहीं था।राजा को किंकर्तव्य विमूढ़ देख कर मंत्री ने कहा,” राजन्! किसी भी व्यक्ति का चेहरा मनहूस नहीं होता।वह तो भगवान की देन है।

मनहूसियत हमारे देखने या सोचने के ढंग में होती है।आप कृपा कर इस व्यक्ति को मुक्त कर दें। राजा ने उसे मुक्त कर दिया.!

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