पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आने वाली है। तकनीक का प्रवेश होता रहेगा। इन शिक्षा केंद्रों में जो बच्चे तैयार हो रहे हैं, वो युद्ध के लिए तो तैयार हों, लेकिन शायद जीवन के लिए तैयार नहीं हो पाएं। हमारे यहां एक गुरुकुल पद्धति थी। जिसे भी शिक्षा लेना है, उसे गुरुकुल से गुजरना पड़ता था।
वहां ज्ञान के साथ प्रार्थना, करुणा, स्वाध्याय भी सिखाया जाता था। पढ़े-लिखे व्यक्ति को अपनी दिशा बचपन में तय कर लेनी चाहिए। अगर दिशा केवल सफलता है, तो ये बच्चे बड़े आक्रामक हो जाएंगे। असफल होने पर उदास हो जाएंगे।
लेकिन गुरुकुल पद्धति में सिखाया जाता है कि जब शिक्षित हो जाओ तो शांति की यात्रा पर भी निकलना। इस पद्धति में बचपन से ही ऐसा यात्रापथ सौंप दिया जाता था, जिस पर वो ज्ञान के साथ जीवन भी सीख जाते थे।
आज अगर हम शिक्षा केंद्रों में गुरुकुल पद्धति न उतार पाएं तो कम से कम अपने घर में तो उतारें। पचास प्रतिशत काम बच्चों पर घर में ही गुरुकुल पद्धति से हो सकता है। ये सैनिक भले ही बनें, पर इन्हें साधक भी बनाया जाए।
आज का भगवद् चिन्तन
वेद दृष्टि रखें
दूसरों के साथ अनुचित व्यवहार करने से पूर्व विचार करो कि हमारा व्यवहार किसी को आहत करने वाला न हो। अपने जीवन को वेदमय बनाकर जियो, भेदमय बनाकर नहीं। शास्त्र कहते हैं कि दूसरों के साथ कभी भी वह व्यवहार मत करो जो तुम्हे स्वयं पसंद न हो। आत्मरूप समझकर सबसे प्रेम करो और सबका सम्मान करना सीखो। अपनी दृष्टि को व्यापक बनाते हुए ये जानने का प्रयास करें कि आत्मा, परमात्मा का ही एक रूप है। सबके भीतर उसी एक परमात्म रूप का दर्शन करते हुए व्यवहार करना ही सर्वोत्तम व्यवहार है। अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए बात-बात पर दूसरों की भावनाओं को आहत करना, दूसरों को प्रताड़ित करना यही तो भेद दृष्टि है एवं *हरि व्यापक सर्वत्र समाना* की भावना रखते हुए सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करना ही वेद दृष्टि है।