आज का पंचांग : समस्याओं का सामना डटकर करना चाहिए

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

जीवन परिवर्तनशील है और सुख-दुख का आना-जाना लगा रहता है। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है, जिसके जीवन में कठिनाइयां नहीं आती हैं। मुश्किल समय में भी सकारात्मक रहना चाहिए, खुद पर और भगवान पर भरोसा रखना चाहिए, तब परिस्थितियों से लड़ने का साहस बना रहता है। ये बात महाभारत के भीष्म पितामह और पांडवों से जुड़े प्रसंग से समझ सकते हैं…

महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर थे, इच्छामृत्यु के वरदान की वजह से वे जीवित थे। एक दिन जब श्रीकृष्ण पांडवों को लेकर भीष्म के पास पहुंचे, तब सभी ने देखा कि पितामह की आंखों में आंसू हैं।

ये देखकर पांडवों आश्चर्य हुआ। युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा कि हे माधव ! ये वही भीष्म हैं जो ब्रह्मचारी हैं, जिनका जीवन तपस्या से परिपूर्ण है, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। फिर ये अंतिम समय में रो क्यों रहे हैं?

श्रीकृष्ण बोले कि इस प्रश्न का उत्तर पितामह स्वयं तुम्हें देंगे।

ये बातें सुनकर भीष्म ने कहा कि मेरी आंखें मृत्यु के भय से नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण की लीला देखकर भीग गई हैं।

श्रीकृष्ण बोले कि इस प्रश्न का उत्तर पितामह स्वयं तुम्हें देंगे।

ये बातें सुनकर भीष्म ने कहा कि मेरी आंखें मृत्यु के भय से नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण की लीला देखकर भीग गई हैं। मैं यह सोचकर विचलित हो गया हूं कि जिन पांडवों के रक्षक स्वयं भगवान श्रीकृष्ण हैं, उनके जीवन में भी एक के बाद एक कई विपत्तियां आती गईं। भगवान का साथ होने का अर्थ ये नहीं है कि जीवन में दुख नहीं आएंगे, बल्कि इसका अर्थ ये है कि भगवान का साथ हो तो दुखों से लड़ने की शक्ति मिलती रहती है। हम साहस के साथ परेशानियों का सामना कर पाते हैं।

भीष्म पितामह की सीख

दुख जीवन का हिस्सा हैं, इन्हें सकारात्मकता के साथ स्वीकारें – आस्था या भक्ति का मतलब ये नहीं है कि जीवन में संकट नहीं आएंगे। बल्कि भक्ति हमें उन्हें सहने और पार करने की शक्ति देती है। इसलिए दुखों के लिए भी सकारात्मक सोच रखें और उनका सामना करें, समस्याओं से भागे नहीं।

दूसरों को बदलने की अपेक्षा खुद को मजबूत बनाएं -जब हम भगवान से ये अपेक्षा करते हैं कि हालात और दूसरे लोग हमारे अनुकूल हो जाए तो इस सोच की वजह से हम कमजोर हो जाते हैं। लेकिन जब हम खुद को मजबूत करते हैं, तब हम हर परेशानी का सामना साहस के साथ कर पाते हैं।

भक्ति करते हुए समस्याओं का सामना करें – सच्ची भक्ति साहस देती है। भीष्म जानते थे कि श्रीकृष्ण का साथ होने पर भी पांडवों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने डटकर उनका सामना किया, क्योंकि उनके पास भक्ति और श्रीकृष्ण का साथ था। हमें भी भक्ति करते हुए समस्याओं का सामना करना चाहिए।

  1. विक्रम संवत – 2082, सिद्धार्थ
  2. शक सम्वत – 1947, विश्वावसु
  3. पूर्णिमांत – आषाढ़
  4. अमांत – ज्येष्ठ

तिथि

  1. कृष्ण पक्ष पंचमी   – Jun 15 03:51 PM – Jun 16 03:31 PM
  2. कृष्ण पक्ष षष्ठी   – Jun 16 03:31 PM – Jun 17 02:46 PM

नक्षत्र

  1. धनिष्ठा – Jun 16 12:59 AM – Jun 17 01:13 AM
  2. शतभिषा – Jun 17 01:13 AM – Jun 18 01:01 AM

करण

  1. तैतिल – Jun 16 03:45 AM – Jun 16 03:32 PM
  2. गर – Jun 16 03:32 PM – Jun 17 03:12 AM
  3. वणिज – Jun 17 03:12 AM – Jun 17 02:47 PM

योग

  1. वैधृति – Jun 15 12:19 PM – Jun 16 11:06 AM
  2. विष्कुम्भ – Jun 16 11:06 AM – Jun 17 09:34 AM

वार

  1. सोमवार

सूर्य और चंद्रमा का समय

  1. सूर्योदय – 5:45 AM
  2. सूर्यास्त – 7:10 PM
  3. चन्द्रोदय – Jun 16 11:20 PM
  4. चन्द्रास्त – Jun 17 10:59 AM

अशुभ काल

  1. राहू – 7:25 AM – 9:06 AM
  2. यम गण्ड – 10:47 AM – 12:27 PM
  3. कुलिक – 2:08 PM – 3:48 PM
  4. दुर्मुहूर्त – 12:54 PM – 01:48 PM, 03:35 PM – 04:29 PM
  5. वर्ज्यम् – 05:01 AM – 06:38 AM

शुभ काल

  1. अभिजीत मुहूर्त – 12:00 PM – 12:54 PM
  2. अमृत काल – 02:42 PM – 04:19 PM
  3. ब्रह्म मुहूर्त – 04:09 AM – 04:57 AM

आनन्दादि योग

  1. शुभ Upto – 01:13 AM
  2. अमृत

सूर्या राशि

  1. सूर्य मिथुन राशि पर है

चंद्र राशि

  1. चन्द्रमा जून 16, 01:09 PM तक मकर राशि उपरांत कुंभ राशि पर संचार करेगा

चन्द्र मास

  1. अमांत – ज्येष्ठ
  2. पूर्णिमांत – आषाढ़
  3. शक संवत (राष्ट्रीय कलैण्डर) – ज्येष्ठ 26, 1947
  4. वैदिक ऋतु – ग्रीष्म
  5. द्रिक ऋतु – ग्रीष्म

Chandrashtama

  1. 1. Mrigashirsha Last 2 padam, Ardra , Punarvasu First 3 padam

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