हिमशिखर खबर ब्यूरो
जम्मू: श्री अमरनाथ यात्रा 2023 की घोषणा कर दी गई है। इस बार यात्रा एक जुलाई से शुरू होंगी जो 62 दिन तक चलेगी। 17 अप्रैल से ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड के माध्यम से पंजीकरण शुरू होगा। जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने बताया कि यात्रा को सुगम और आसान बनाने के लिए सरकार सभी प्रकार के इंतजाम कर रही है।
इस साल 2023 में चलने वाली 62 दिवसीय यात्रा 1 जुलाई को शुरू होकर 31 अगस्त को संपन्न होगी। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को पवित्र तीर्थ यात्रा और पंजीकरण की तारीखों की घोषणा करते हुए कहा कि प्रशासन सुचारू और परेशानी मुक्त तीर्थ यात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
क्या है अमरनाथ धाम और उसका महत्व?
अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो हिंदुओं का सबसे पवित्र स्थल है। माना जाता है कि अमरनाथ स्थित पवित्र गुफा में भगवान शिव एक बर्फ-लिंगम यानी बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे ‘बाबा बर्फानी’ भी कहते हैं।
पवित्र गुफा ग्लेशियरों, बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है। गर्मियों के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा साल के अधिकांश समय बर्फ से ढकी रहती है। गर्मियों के उन्हीं दिनों में यह दर्शन के लिए खुली रहती है।
खास बात ये है कि इस गुफा में हर वर्ष बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है। बर्फ का शिवलिंग, गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से बनता है। बेहद ठंड की वजह से पानी जम जाता है और बर्फ के शिवलिंग का आकार ले लेता है। यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है, जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है। यह शिवलिंग श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है। ऐसा हर साल होता है।
इसी बर्फ के शिवलिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र गुफा की यात्रा करते हैं। बर्फ के शिवलिंग के बाईं और दो छोटे बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, उन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है।