मौन व्रत वाली अमावस्या आज: स्नान-दान के लिए पुण्य फलदायी है माघ की अमावस

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

आज माघ मास की अमावस्या है। इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर या फिर मुनियों की तरह रहकर स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। इस माघी मौनी अमावस्या को धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के साथ ही गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान को पवित्र माना गया है। आज शनिवार और अमावस्या होने से शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। इसलिए शनि देव की विशेष पूजा का विशेष फल मिलेगा। आज किसी गोशाला में हरी घास दान करें। मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। पूजा-पाठ के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना जरूर करनी चाहिए।

इस दिन मौन धारण करने से आध्यात्मिक विकास होता है। इसी कारण ये मौनी अमावस्या कहलाती है। इस दिन मनु ऋषि का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। ऋषियों और पितरों के निमित्त की गई पूजा, जलार्पण और दान करने के लिए ये महापर्व उत्तम फलदायी होता है। ये अमावस्या इस बार इसलिए खास मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन शनिवार है। इस तिथि और वार दोनों के ही अधिपति देवता स्वयं शनि हैं। जो कि आज अपनी ही राशि, कुंभ में मौजूद है।

इस दिन क्यों रखा जाता है मौन व्रत

मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान और पितरों को तर्पण करने से भी अधिक महत्व मौन धारण कर पूजा-उपासना करने का है, जिसका कई गुना पुण्य फल मिलता है। खास कर मौन साधना जहां मन को नियंत्रित करने के लिए होती है, वहीं इसे करने से वाक् शक्ति भी बढ़ती है। पंडितों का कहना है कि जिन लोगों के लिए पूरा दिन मौन धारण करना मुश्किल है वे सवा घंटे का भी मौन व्रत रख लें, तो उनके विकार नष्ट होंगे और एक नई ऊर्जा मिलेगी।

इसलिए कुछ समय मौन अवश्य रखना चाहिए। मौन रहने से हमारे मन व वाणी में ऊर्जा का संचय होता है। इस दिन अपशब्द नहीं बोलें। मौन रहकर ईश्वर का मानसिक जाप करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है।

श्राद्ध करने और पीपल में जल चढ़ाने का विधान

अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं इसलिए माघ महीने की मौनी अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है। जिससे पितृ दोष में राहत मिलती है।

इस दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करना चाहिए। पीपल को अर्पित किया गया जल देवों और पितरों को ही अर्पित होता है। इसकी वजह ये है कि पीपल में भगवान विष्णु और पितृदेव विराजते हैं। इस दिन पीपल का पौधा रोपा जाना मंगलकारी होता है। पीपल की पूजा-अर्चना करने से कई गुना फल मिलता है।

Uttarakhand

रामचरित मानस में है मौनी अमावस्या का जिक्र…

माघ मकरगति रवि जब होई, तीरथपतिहि आव सब कोई।। देव दनुज कि न्नर नर श्रेणी, सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी।।

यानी माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में होता है तब तीर्थ पति यानी प्रयागराज में देव, ऋषि, किन्नर और अन्य गण तीनों नदियों के संगम में स्नान करते हैं। प्राचीन समय से ही माघ मास में सभी ऋषि मुनि तीर्थ राज प्रयाग में आकर आध्यात्मिक-साधनात्मक प्रक्रियाओं को पूरा कर वापस लौटते हैं। महाभारत में भी इस बात का जिक्र है कि माघ मास के दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है।

इस दिन शिव जी का जलाभिषेक भी कर सकते हैं। लोटे में पानी भरें और पतली धार के साथ शिवलिंग पर चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा आदि चीजें चढ़ाएं। मिठाई को भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें।

माघ महीने में तिल के दान का महत्व काफी अधिक है। इस महीने की अमावस्या पर भी काले तिल का दान जरूर करें। इसके साथ ही जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। अनाज, धन, जूते-चप्पल, कपड़े का दान करें।

माघी अमावस्या पर न करें ये काम

Uttarakhand

ध्यान रखें इस दिन घर में क्लेश न करें। परिवार में प्रेम बनाए रखेंगे तो पूजा-पाठ में मन लगा रहेगा और शांति के साथ पूजा कर पाएंगे। किसी भी तरह का नशा न करें। अधार्मिक कामों से बचें। किसी का अपमान न करें।

Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *