जीवन जीने की कला : इन आदतों को छोड़ देना चाहिए

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हिमशिखर धर्म डेस्क

अच्छे आचरण के बिना ज्ञान व्यर्थ है। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ग्रंथ में कई तरह की नीतियों का बखान किया है। उनकी नीतियां व्यक्ति को जीने की कला सिखाती हैं। श्लोक के माध्यम से उन्होंने बताया है कि व्यक्ति को किन आदतों को त्याग देना चाहिए। आइए जानते हैं उनके बारे में…

कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं बह्वाशिनं निष्ठुरभाषिणं च।
सूर्योदये चास्तमिते शयानं विमुञ्चतिश्रीर्यदि चक्रपाणि:।।

व्यक्ति को हमेशा सफाई का खास ख्याल रखना गंदे कपड़े पहनने वाले शख्स के पास कभी लक्ष्मी नहीं आती है। ऐसे लोग हर तरफ से तिरस्कृत होते हैं।

गंदे दांत वाले लोगों के पास भी लक्ष्मी का वास नहीं होता। उसे गरीबी का सामना करना पड़ता है। वहीं, दातों की सफाई करने वाले शख्स पर लक्ष्मी की कृपा रहती है।

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जरूरत से ज्यादा खाने वाला शख्स कभी धनवान नहीं हो सकता। दरिद्र व्यक्ति गरीबी के दलदल में धसता चला जाता है।

कड़वे वचन बोलने वाला मनुष्य अमीर नहीं हो सकता। चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति की वाणी से कोई भी दूसरा व्यक्ति आहत नहीं हो इसका ख्याल रखना चाहिए।

ज्यादा सोने वाले व्यक्ति के पास भी लक्ष्मी नहीं आती हैं। ऐसा शख्स भी कभी धनवान नहीं हो पाता। बिना कारण सोना हानिकारक हो सकता है।

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धोखे और बेईमानी से पैसा कमाने वाले लोग ज्यादा दिन तक अमीर नहीं रहते, वे जल्द ही अपना पैसा गंवा बैठते हैं।

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