दुनिया के इकलौते शाकाहारी मगरमच्छ बबिया का निधन, प्रसाद खाकर करता था मंदिर की रखवाली

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

केरल। 

केरल के श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर की झील में बीते कई दशकों से रह रहा, एकमात्र मगरमच्छ रविवार देर रात मृत पाया गया। दावा किया जाता है कि यह मगरमच्छ शाकाहारी था। बताया गया है कि मंदिर की झील में 70 साल से रह रहे इस मगरमच्छ को ‘बबिया’ नाम से पुकारा जाता था। वह शनिवार से लापता था। वह मंदिर में चढ़ाए जाने वाले चावल-गुड़ के प्रसादम को खाता था।

मगरमच्छ शनिवार से लापता था। रविवार रात करीब 11.30 बजे उसका शव झील में तैरता मिला। - Dainik Bhaskar
मगरमच्छ शनिवार से लापता था। रविवार रात करीब 11.30 बजे उसका शव झील में तैरता मिला।

मगरमच्छ को देखने के लिए उमड़ी भीड़
मगरमच्छ को अंतिम बार देखने के लिए कई राजनेता और सैकड़ों लोग पहुंचे। भीड़ ज्यादा बढ़ने लगी तो शव को झील से हटाकर खुली जगह में रख दिया गया।

भीड़ ज्यादा बढ़ने लगी तो बाबिया का शव को झील से हटाकर खुली जगह में रख दिया गया। - Dainik Bhaskar

अंतिम दर्शन करने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री पहुंची
बाबिया को देखने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे भी पहुंची। उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मगरमच्छ 70 सालों से मंदिर में रहता था।

 

 

मंदिर के पुजारियों का कहना है कि मगरमच्छ की उम्र 75 साल थी। वह मंदिर के दर्शन के लिए दिन में दो बार निकलता था। - Dainik Bhaskar

मगरमच्छ को चावल पसंद थे
पुजारियों का दावा है कि मगरमच्छ पूरी तरह से शाकाहारी था और झील में मछली या अन्य जीवों को नहीं खाता था। बाबिया एक गुफा में रहता था। दिन में दो बार मंदिर के दर्शन के लिए गुफा से निकलता था और थोड़ी देर टहलने से बाद अंदर चला जाता था।

मगरमच्छ पूरी तरह से शाकाहारी था और झील में मछली या अन्य जीवों को नहीं खाता था। - Dainik Bhaskar
मगरमच्छ पूरी तरह से शाकाहारी था और झील में मछली या अन्य जीवों को नहीं खाता था।

मगरमच्छ मंदिर में चढ़ाया जाने वाला प्रसाद ही खाता था। उसे पके चावल और गुड़ बेहद पसंद था। कई लोग मंदिर में भगवान के दर्शन के अलावा बाबिया को देखने आते थे और अपने हाथों से उसे चावल खिलाते थे। लोग का दावा है कि मगरमच्छ ने आजतक किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया।

मंदिर में कई लोग मगरमच्छ को देखने आते थे और मन्नतें मांगकर अपने हाथों से उसे चावल खिलाते थे। - Dainik Bhaskar
मंदिर में कई लोग मगरमच्छ को देखने आते थे और मन्नतें मांगकर अपने हाथों से उसे चावल खिलाते थे।

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