नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज केन-बेतवा नदी को आपस में जोड़ने की परियोजना के लिये वित्तपोषण तथा क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना की कुल लागत 44,605 करोड़ रुपये का अनुमान किया गया है, जो 2020-21 की कीमतों के आधार पर है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परियोजना के लिये केंद्रीय समर्थन के रूप में 39,317 करोड़ रुपये, सहायक अनुदान के रूप में 36,290 करोड़ रुपये और ऋण के रूप में 3,027 करोड़ रुपये की धनराशि को मंजूर किया है।
यह परियोजना भारत में नदियों को आपस में जोड़ने की अन्य परियोजनाओं का भी मार्ग प्रशस्त करेगी तथा विश्व के सामने हमारी बुद्धिमत्ता और दृष्टिकोण का भी परिचय देगी।
इस परियोजना के तहत केन का पानी बेतवा नदी में भेजा जायेगा। यह दाऊधाम बांध के निर्माण तथा दोनों नदियों से नहर को जोड़ने, लोअर उर परियोजना, कोठा बैराज और बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना के जरिये पूरा किया जायेगा। परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर रकबे की वार्षिक सिंचाई हो सकेगी, लगभग 62 लाख की आबादी को पीने का पानी मिलेगा तथा 103 मेगावॉट पन बिजली और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा पैदा होगी। परियोजना को उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी के साथ आठ वर्षों में क्रियान्वित कर लेने का प्रस्ताव है।
यह परियोजना पानी की कमी से जूझते बुंदेलखंड इलाके के लिये बहुत फायदेमंद है। यह पूरा इलाका मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश राज्यों में फैला है। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन तथा उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर को बहुत लाभ होगा।
इस परियोजना से कृषि गतिविधियों के बढ़ने और रोजगार सृजन से बुंदेलखंड के पिछड़े इलाके में सामाजिक-आर्थिक समृद्धि में तेजी आने की संभावना है। इससे क्षेत्र में संकट की वजह से होने वाले विस्थापन को भी रोकने में मदद मिलेगी।
इस परियोजना से पर्यावरण प्रबंधन और सुरक्षा समग्र रूप से संभव होगी। इस उद्देश्य के लिये एक समग्र परिदृश्य प्रबंधन योजना को भारतीय वन्यजीव संस्थान अंतिम रूप दे रहा है।
पृष्ठभूमिः
22 मार्च, 2021 को देश में नदियों को आपस में जोड़ने की पहली प्रमुख केंद्रीय परियोजना को क्रियान्वित करने के लिये केंद्रीय जल शक्ति मंत्री तथा मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। यह समझौता अटल बिहारी वाजपेयी के उस विजन को क्रियान्वित करने के अंतर-राज्यीय सहयोग का सूत्रपात है, जिस विजन के तहत नदियों को आपस में जोड़कर पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का विचार है, जहां प्रायः सूखा पड़ता है और जिन इलाकों में पानी की भारी कमी है।