हिमशिखर ब्यूरो
देहरादून
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। यह रहस्य अभी भी बरकरार है। खबर है कि भाजपा संगठन मुख्यमंत्री की चुनावी वैतरणी आसानी से पार कराने के लिए आसान सीट के चयन को लेकर मंथन कर रही है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, भाजपा के कई विधायक मुख्यमंत्री के लिए अपनी विधानसभा सीट को छोड़ने की पेशकश भी कर चुके हैं।
तीरथ सिंह रावत ने गत 10 मार्च को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वह अभी पौड़ी गढ़वाल लोकसभा से सांसद हैं। इसलिए उनके समक्ष 6 महीनों के अंदर किसी विधानसभा से चुनाव लड़ने की संवैधानिक मजबूरी है। लेकिन अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि मुख्यमंत्री किस विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे। राजनीतिक जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री के लिए खासतौर पर पर्वतीय जिलों में ही कम जोखिम वाली सीट खोजे जाने की कवायद शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि सीएम रावत के लिए उत्तरकाशी और पौड़ी जनपद की सीटों में सबसे ज्यादा संभावनाएं टटोली जा रही हैं।
गंगोत्री विधानसभा के विधायक के आकस्मिक निधन से गंगोत्री सीट खाली चल रही है। ऐसे में यदि सीएम तीरथ सिंह रावत इस सीट से उपचुनाव लड़ते हैं तो उनके लिए किसी भी भाजपा के विधायक से सीट खाली नहीं करवानी पड़ेगी।
अविभाजित उत्तर प्रदेश से अब तक परिदृश्य को देखें तो यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश करने वाले विधायक के दल की ही सूबे में सरकार बनती आई है। छह दशक पूर्व गंगोत्री में जिस मिथक की नींव पड़ी, वह आज भी बरकरार है। यही कारण है कि हर पार्टी के लिए ये सीट बेहद खास मानी जाती है। इसी कारण यहां एक कहावत भी प्रचलित है कि जिसने जीती गंगोत्री सीट, उसके पास रहेगी सत्ता। सियासत के इस संयोग को धर्म गुरु पतित पावनी मां गंगा की असीम कृपा करार देते हैं।
आजादी मिलने के बाद देश में पहले आम चुनाव में यह सीट गंगोत्री नहीं, उत्तरकाशी हुआ करती थी। उत्तराखण्ड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद इस सीट का नाम बदलकर उत्तरकाशी की जगह गंगोत्री कर दिया गया। हर चुनाव में चुपके-चुपके ही सही, मगर सियासी दल इस मिथक को नजरअंदाज नही कर पाते हैं। इस मिथक के चलते गंगोत्री सीट सीमांत होने के बावजूद सरकार बनने तक हमेशा चर्चा के केंद्र में बनी रहती है। वहीं सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री तीरथ अपने गृह जनपद पौड़ी की ही किसी सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं। उम्मीद है कि उपचुनाव की सीट को लेकर जल्द ही निर्णय हो जाएगा।