देहरादून
श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 पी0पी0 ध्यानी की शैक्षणिक योग्यता, प्रशासनिक अनुभव एवं वेतनमान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों तथा राज्य सरकार के नियमों के अनुरूप, कुलपति के पद पर न होने सम्बन्धी शिकायत को एक शिकायतकर्ता द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड सरकार तथा राज्यपाल से की गयी थी। साथ ही साथ शिकायतकर्ता द्वारा समाचार पत्रों में भी कुलपति की छवि को धूमिल करने का कृत्य किया गया था।
शिकायतकर्ता की शिकायत को प्रभारी सचिव, उच्च शिक्षा उत्तराखण्ड शासन द्वारा भी राजभवन को नियमानुसार कार्यवाही करने हेतु प्रेषित किया गया था। राजभवन द्वारा सम्यक परीक्षणोपरान्त शिकायतकर्ता के प्रत्यावेदनों को राज्यपाल/कुलाधिपति महोदय ने बलहीन पाकर निक्षेपित/खारिज कर दिया है।
इस सन्दर्भ में जब कुलपति डाॅ0 ध्यानी से पूछा गया कि राज्यपाल महोदय के इस निर्णय पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है। डाॅ0 ध्यानी ने कहा कि सत्य की हमेशा जीत होती है, उन्होंने कहा कि जब से वह, श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति बने हैं, उन्होंने विश्वविद्यालय में एक भी अनैतिक कार्य, विश्वविद्यालय अधिनियम एवं परिनियम के विरूद्ध, नहीं किया है, भले ही कुछ विरोधियों ने सांठगाठ कर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने का हर संभव प्रयास किया। डाॅ0 ध्यानी ने कहा कि उन्होंने हमेशा योग्यता का सम्मान किया है और वह नियम-कानूनों के अनुसार कार्य करते हैं। विरोधी तो विरोध करते हैं, षडयन्त्र रचते हैं, गिरोह बनाते हैं, लेकिन ऐसे व्यक्ति/ गिरोह सत्य को असत्य में कभी भी नहीं बदल सकते, हमेशा सत्य की जीत होती है और न्याय होता है। डाॅ0 ध्यानी ने कहा कि राज्यपाल के निर्णय से मेरी प्रतिष्ठा एवं कार्यशैली में वृद्धि हुई है और मेरी कार्य के प्रति उत्पादकता भी बढ़ी है। इस हेतु उन्होंने राज्यपाल का दिल से आभार व्यक्त किया।