पंडित उदय शंकर भट्ट
हिमशिखर धर्म डेस्क
पितरों की आत्मा की शांति व तृप्ति के लिए 6 अक्टूबर तक पितृ पक्ष चलेगा। श्राद्ध पक्ष में पूजा-पाठ के अलावा पितरों को प्रसन्न करने के लिए पौधे लगाने का भी विशेष महत्व है। शास्त्रानुसार इन दिनों पितरों के साथ देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए तुलसी, पीपल, बरगद, बिल्व पत्र और अशोक के पौधे लगाए जाने का भी विधान है।
सनातन संस्कृति के अनुसार श्राद्ध पक्ष का धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक तथ्य भी है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है, आत्मा कभी मरती नहीं है। इस आधार पर प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों ने कर्मकांड और श्राद्ध का विधान बनाया हुआ है।
श्राद्ध पक्ष में पितरों को तर्पण और पिंडदान आदि कर्म करने के बाद एक पौधा भी लगाया जाना चाहिए। दरअसल, वृक्ष और पेड़-पौधों में भी प्राण होते हैं। ये हर तरह की सकारात्मक और नकारात्मक उर्जा को महसूस कर लेते हैं। कुछ वृक्ष केवल सकारात्मक उर्जा देते हैं और कुछ केवल नकारात्मक। शुभ वृक्षों पर तो पितरों का निवास भी माना जाता है। ऐसे में यदि पितृ पक्ष में शुभ वृक्ष लगाकर उनकी उपासना की जाए तो पितरों का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
शास्त्रानुसार श्राद्ध पक्ष में तुलसी, पीपल, बरगद, बिल्व पत्र और अशोक के पौध लगाए जाएं तो पितरों की आत्मा को तृप्ति और मुक्ति मिलने के साथ ही देवताओं का भी आशीर्वाद मिलता है। क्योंकि इन पौधों में देवों के साथ ही पितरों का भी वास होता है।
श्राद्ध पक्ष में पेड़ लगाने से पर्यावरण को साफ रखने में तो मदद होगी ही साथ ही पितरों के साथ देवता भी प्रसन्न होंगे। ध्यान देने की बात यह है कि पेड़ लगाने के बाद बड़ा होने तक उसकी पूरी देखभाल भी किया जाना आवश्यक है। तभी पेड़ लगाने का फायदा जातक को मिल पाएगा।