हिमशिखर धर्म डेस्क
इलाहाबाद में रामबाग नामक स्थान में हनुमानजी का काफी प्राचीन विग्रह है जिसकी बहुत बड़ी मान्यता है। हनुमानजी का पुराना मंदिर दुमंजिले पर था। ऊपर सीढ़ियों के जरिए चढ़ा जा सकता था। भक्तों को ऊपर चढ़ने में काफी दिक्कत होती थी खासकर वृद्धों को। श्री माँ जब महाराजजी के साथ वहाँ दर्शन करने गई तो उन्हें भी यह कष्टकारी अनुभव हुआ। बाबा ने भक्त के कष्ट के निवारण का निश्चय कर लिया।
पुराना मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था को प्राप्त हो चुका था। ट्रस्टियों ने इसके जीर्णोद्धार का निश्चय कर लिया था। महाराजजी चर्चलेन में दादा के घर पधारे थे। मन्दिर के दो ट्रस्टी श्री आई०एन० मिश्रा तथा श्री भार्गव बाबा का दर्शन करने आए थे। वहाँ बातचीत के दौरान मन्दिर के जीर्णोद्धार का प्रसंग भी उठ गया। बाबा ने कहा, ” भक्तों को ऊपर चढ़ने में तकलीफ होती है, हनुमानजी को नीचे ले आओ।” परन्तु दोनों ट्रस्टियों ने महाराजजी से असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिर बहुत पुराना है महाराजजी इसका रूप परिवर्तन लोगों को अच्छा भी नहीं लगेगा और शेष ट्रस्टी तैयार भी नहीं होंगे। इसके जीर्णोद्धार की योजना बनाई जा चुकी है। महाराजजी ने ट्रस्टियों की बात चुपचाप सुन ली।
शाम को कुछ भक्तों के साथ महाराजजी हनुमान मन्दिर गए। ऊपर चढ़कर कुछ देर तक हनुमानजी के सामने बैठे रहे। पता नहीं उस समय बाबा ने हनुमानजी से क्या प्रार्थना की लेकिन जब उस मन्दिर का जीर्णोद्धार चल रहा था तभी वह मूर्ति छत फाड़ते हुए पंद्रह-सोलह फीट नीचे आ गई, सिंहासन के साथ लेकिन विग्रह बिल्कुल सही सलामत रही। अंत में जब मन्दिर का पुनर्निर्माण हुआ तो हनुमानजी नीचे ही प्रस्थापित हो गए। उनके सामने का दर्शन-प्रांगण क्षेत्र भी स्वतः बड़ा हो गया।