सनातन धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है, जो व्यक्ति को जीवित अवस्था में उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। इसके तहत अच्छे कर्मों का अच्छा फल तो वहीं बुरे कर्म करने पर दंड के विधान के तहत दंड देते हैं।
हिमशिखर धर्म डेस्क
आज शनिवार है, शनिदेव निश्चित रूप से बहुत अच्छे फल देने वाले होते हैं, केवल हमारी भावना शनि के प्रति सकारात्मक होनी चाहिए, सोने का सिंहासन प्रदान करते हैं शनि देव। शनिदेव का काम व्यक्ति को अच्छे बुरे कर्मों के आधार पर सजा देकर सुधारना होता है। ऐसा वे न्याय के देवता के रूप में करते हैं। इसे सकारात्मक रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। शनिदेव की दृष्टि अत्यंत प्रभावशाली है. कहा जाता है कि शनिदेव की सीधी नजर से सभी को बचना चाहिए। शनि से डरने की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है धार्मिक बनने की, ईमानदार बनने की या परिश्रमी बनने की, इससे शनि महाराज हमारा अहित नहीं होने देंगे।
शनि ऐसा ग्रह है जिसके प्रति सभी का डर सदैव बना रहता है। व्यक्ति की कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे उसके पूरे जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बातें निर्धारित हो जाती हैं। शनि को कष्टप्रदाता के रूप में अधिक जाना जाता है। किसी ज्योतिषाचार्य से अपना अन्य प्रश्न पूछने के पहले व्यक्ति यह अवश्य पूछता है कि शनि उस पर भारी तो नहीं है। भारतीय ज्योतिष में शनि को नैसर्गिक अशुभ ग्रह माना गया है। शनि कुंडली के त्रिक (6, 8, 12) भावों का कारक है। अगर व्यक्ति धार्मिक हो, उसके कर्म अच्छे हों तो शनि से उसे अनिष्ट फल कभी नहीं मिलेगा। शनि से अधर्मियों व अनाचारियों को ही दंड स्वरूप कष्ट मिलते हैं।
मत्स्य पुराण के अनुसार शनि की कांति इंद्रनीलमणि जैसी है। कौआ उसका वाहन है। उसके हाथों में धनुष बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा हैं। शनि का विकराल रूप भयानक है। वह पापियों के संहार के लिए उद्यत रहता है। शास्त्रों में वर्णन है कि शनि वृद्ध, तीक्ष्ण, आलसी, वायु प्रधान, नपुंसक, तमोगुणी और पुरुष प्रधान ग्रह है। इसका वाहन गिद्ध है। शनिवार इसका दिन है। स्वाद कसैला तथा प्रिय वस्तु लोहा है। शनि राजदूत, सेवक, पैर के दर्द तथा कानून और शिल्प, दर्शन, तंत्र, मंत्र और यंत्र विद्याओं का कारक है। ऊषर भूमि इसका निवास स्थान है। इसका रंग काला है। यह जातक के स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है।
शनि की उच्च राशि तुला है तथा मकर और कुंभ राशियों का स्वामी और मृत्यु का देवता है। यह ब्रह्म ज्ञान का भी कारक है, इसीलिए शनि प्रधान लोग संन्यास ग्रहण कर लेते हैं। शनि सूर्य का पुत्र है। इसकी माता छाया एवं मित्र राहु और बुध हैं। शनि के दोष को राहु और बुध दूर करते हैं। शनि दंडाधिकारी भी हैं। यही कारण है कि यह साढ़े साती के विभिन्न चरणों में जातक को कर्मानुकूल फल देकर उसकी उन्नति व समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। कृषक, मजदूर एवं न्याय विभाग पर भी शनि का अधिकार होता है। जब गोचर में शनि बली होता है तो इससे संबद्ध लोगों की उन्नति होती है।
शनि भाव 3, 6,10, या 11 में शुभ प्रभाव प्रदान करता है। प्रथम, द्वितीय, पंचम या सप्तम भाव में हो तो अरिष्टकर होता है। चतुर्थ, अष्टम या द्वादश भाव में होने पर प्रबल अरिष्टकारक होता है। यदि जातक का जन्म शुक्ल पक्ष की रात्रि में हुआ हो और उस समय शनि वक्री रहा हो तो शनिभाव बलवान होने के कारण शुभ फल प्रदान करता है। 36 एवं 42 वर्ष की उम्र में अति बलवान होकर शुभ फल प्रदान करता है। उक्त अवधि में शनि की महादशा एवं अंतर्दशा कल्याणकारी होती है।
शनि यदि “मेष, वृश्चिक, सिंह राशि में हो तो कमजोर माना जाता है क्योंकि ये तीनों राशि उसकी शत्रु राशियाँ हैं।
जानते हैं शनि के कमजोर होने के लक्षण और उन्हें दूर करने के उपाय ‘
“कमजोर शनि के जीवन पर प्रभाव :”
1–कमजोर शनि सबसे पहले जातक के जीवन में आलस्य की मात्रा को बहुत बढ़ा देता है। जातक अनुशासनहीन और अव्यवस्थित जीवन जीता है।
2—-गृहणिया बर्तन धोना या कपड़े धोने का काम सुबह से शाम पर टालती है।
3 –बच्चे होमवर्क अंतिम समय में करते हैं या परीक्षा के 1 दिन पहले किताब खोलकर उसका श्रीगणेश करते हैं।
4– पुरुष ज्यादातर ऑफिस लेट जाते हैं, कामचोरी करते हैं, बाल-नाख़ून-दाढ़ी साफ़ करने का समय नहीं निकाल पाते हैं।
5– कमजोर शनि जातक की एकाग्रता को बहुत कम कर देता है साथ ही जातक को लक्ष्यविहीन बना देता है अर्थात् जातक जीवन के मकसद को ही भूल जाता है।
6–कमजोर शनि से घर की मशीनरी एक के बाद एक अचानक ख़राब होने लगती हैं जैसे घड़ी बंद पड़ जाना, Iron ख़राब हो जाना, पंखा ख़राब होना आदि।
7– कमजोर शनि जातक को बहुत जल्दी कर्ज में डुबा देता है और ये कर्ज जल्दी नहीं चुकता। जातक को काफी संघर्ष और लम्बे अंतराल के बाद ही कर्ज से छुटकारा मिलता है।
8– कमजोर शनि जातक को अच्छी आदतों से दूर करके बुरी आदत की ओर ले जाता है जैसे शराब, गुटखा, बीड़ी का सेवन, जुआ खेलना, सट्टा लगाना, अश्लील किताबें पढ़ना आदि।
“शनि को मजबूत करने के उपाय— “
1–सबसे प्रभावशाली उपाय यही है कि जातक को सुबह जल्दी उठना चाहिये और आलस्य का त्याग कर देना चाहिये। इससे धीरे-धीरे शनि मजबूत होकर अच्छे परिणाम देता है।
2–सुबह नहाकर सबसे पहले एक बार हनुमान चालीसा पढ़ें।
3–जातक को सुबह सूर्य को अर्घ्य देना चाहिये क्योंकि इससे शरीर में नयी ऊर्जा का संचार होता है।
4– जातक को कोई भी काम अधूरा नहीं रखना चाहिए। जो भी काम हो संभवतः उसे तुरंत ख़त्म करना चाहिए।
5— जातक को जितनी जरुरत हो उतना ही कर्ज लेना चाहिये और कर्ज के पैसे का दुरुपयोग कतई नहीं करना चाहिए।
6—अपने अधीनस्थ कर्मचारी या नौकर/सफाई कर्मचारी का सम्मान करें…कभी भी भिखारी को ” चल हट “, ” भिखारी कहीं का” ऐसा कहकर ना धुत्कारें, बल्कि विनम्रता से मना करना चाहिए।
7– आप कभी भी परिवार के साथ खाना खाने होटल जायें तो अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार वेटर को ₹10/₹20/₹50 अवश्य टिप दें और संभव हो तो उसके हाथों में स्वंय दें।
8– जातक को कभी भी फटे जूते/ चप्पल नहीं पहनना चाहिए, उन्हें तुरंत किसी मंदिर के पास छोड़ आना चाहिए।
10–घोड़े की नाल/नाव की कील/लोहे का छल्ला दायें हाथ की मध्यमा ऊँगली में शनिवार की शाम को धारण करें।
11–शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों/तिल के तेल का दीपक जलाकर अपनी मनोकामना माँगे।
12–शनिवार के दिन शमी की जड़ दाहिनी बाजू में अपने नाम से प्रतिष्ठा करके धारण करें।
13—नित्य दशरथ कृत श्रीशनि स्तोत्र का पाठ करें।