हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई टिहरी: भारत सरकार में सचिव रहे पूर्व आईएएस और पंचगव्य विद्यापीठम् कांचीपुरम, चेन्नई के कुलपति स्वामी कमलानंद (डॉ. कमल टावरी) ने गांवों में विकास के लिए बिना सरकार की मदद (असरकारी) और असरकारी, स्वाभिमानी, स्वावलंबी, स्वतंत्र अभियान की जरुरत पर बल दिया। कहा कि समग्र विकास, ग्राम स्वराज और पर्यावरण की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रकृति से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि गांवों के विकास की बात करो। जड़ से जुड़ी। प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरणपूरक धंधे तलाशने पर बल दिया। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया गया।
सोमवार को रानीचौरी में आयोजित कार्यशाला से पहले छात्र और स्थानीय ग्रामीणों ने बादशाहीथौल से रानीचौरी तक पदयात्रा निकालकर पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाई। कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि स्वामी कमलानंद ने पहाड़ की बद्री गाय के संरक्षण पर जोर दिए जाने की बात कही। गो स्वावलंबन आज के समय की मांग है। श्रीपंच दिगंबर अनि अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी राम किशोर दास महाराज ने कहा कि गौमाता के पंचगव्य, गोबर गैस इत्यादि पर गांव-गांव में छोटे उद्यम तैयार करना आज के समय की जरूरत है। गो आधारित अर्थव्यवस्था से ही हम विश्व गुरु बन सकेंगे।
ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के सदस्य सुरेश सुयाल ने कहा कि राज्य में पलायन रोकने के लिए वैज्ञानिक तरीके से व्यापक कार्ययोजना बनाई जा रही है। समापन पर अतिथियों ने गौसंरक्षण और संवर्द्धन, शिक्षा, पर्यावरण, स्वरोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 30 लोगों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर पुराना दरबार ट्रस्ट के ठाकुर भवानी प्रताप सिंह, प्रो एलआर डंगवाल, समाजसेवी हर्षमणि बहुगुणा, आयुष वर्मा, गोपाल बहुगुणा आदि मौजूद रहे।