​चार साल की स्नातक डिग्री लेने वाले सीधे कर सकेंगे Ph.D, नहीं रहेगी मास्टर्स करने की जरूरत

​​​हिमशिखर खबर ब्यूरो

नई दिल्ली:

ब्रिटिश काल के मैकाले की शिक्षा नीति को बदलते हुए भारत की शिक्षा नीति ने छात्र-छात्राओं के लिए नए और सरल रास्ते खोल दिये हैं। नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने के साथ पीएचडी का सपना देखने वाले ग्रेजुएट्स को मास्टर्स कोर्स करने की चिंता नहीं करनी होगी। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की ओर से पीएचडी को लेकर अहम जानकारी दी गई है। जो छात्र 4 वर्ष का ग्रेजुएशन कोर्स करेगा, वह डायरेक्ट पीएचडी कर सकेगा। UGC Chairman एम जगदीश कुमार ने बुधवार को कहा कि चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे।

चार साल के स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के फायदों के बारे में कुमार ने कहा, ‘‘पहला फायदा यह है कि उन्हें पीएचडी प्रोग्राम में शामिल होने के लिए परास्नातक डिग्री लेने की जरूरत नहीं है। किसी विषय में गहरे ज्ञान के लिए वे एक से ज्यादा विषय भी ले सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि बहु-विषयक पाठ्यक्रम, क्षमता वृद्धि पाठ्यक्रम, कौशल वृद्धि पाठ्यक्रम, मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम और इंटर्नशिप एफवाईयूपी में शामिल हैं, यह छात्रों के लिए रोजगार लेने या उच्च अध्ययन के लिए अवसरों को बढ़ाएगा।’’

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क्या है नया करिकुलम

यूजीसी की ओर से जारी किए गए नए करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) को बदल दिया गया है। एक वर्ष या फिर दो सेमेस्टर की पढ़ाई पूरा करने वाले छात्रों को चुने गए फील्ड में सर्टिफिकेट मिलेगा। जबकि दो वर्ष या चार सेमेस्टर करने पर छात्रों को डिप्लोमा मिलेगा। वहीं, तीन वर्ष या 6 सेमेस्टर के बाद बैचलर डिग्री दी जाएगी। इसके अलावा चार वर्ष या आठ सेमेस्टर पूरा करने पर छात्र को ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी। चौथे साल के बाद जिन छात्रों ने पहले 6 सेमेस्टर में 75 प्रतिशत या इससे अधिक अंक पाए हैं, वे रिसर्च स्ट्रीम का चुनाव कर सकते हैं. ये शोध मेजर डिसिप्लिन में किया जा सकेगा।

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