सुप्रभातम्: सावधान! क्यों नहीं खाना चाहिए किसी का जूठा भोजन

  • भोजन करने से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है, इस ऊर्जा के बल पर हम जीवन में आगे बढ़ते हैं।

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

शास्त्रों में किसी का जूठा हिंदू सनातन परंपरा जितनी प्राचीन है उतनी ही अधिक यह वैज्ञानिक भी है। हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णित बातें आज भी विज्ञान की कसौटी पर खरी उतरती है। चाहे वह कोई पूजा पद्धति हो, पौधों और पशु-पक्षियों की देखभाल करने की बात हो या फिर अन्य कोई नियम। हम बात कर रहे हैं भोजन करने की पद्धति की। पिछले साल में जब कोरोना वायरस चल रहा था, तब उसे रोकने का सबसे कारगर तरीका बताया गया था कि एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाकर रखना, एक-दूसरे की छुई हुई वस्तुओं का इस्तेमाल न करना, किसी दूसरे का जूठा भोजन नहीं करना और जूठा पानी नहीं पीना। इसी तरह खाने पर भी बड़ा प्रतिबंध है। बचपन से ही ये सिखाया जाता है कि कभी किसी का जूठा भोजन नहीं करना चाहिए, लेकिन वर्तमान में इस बात का पालन शायद ही कोई करता हो। इस परंपरा के पीछे न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक पक्ष भी है।

जूठा भोजन नहीं करना चाहिए

हिंदू धर्म शास्त्र प्राचीन काल से जूठा भोजन नहीं करने की बात कहते आ रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि लोग यह बात मानते नहीं हैं। लोगों का मानना है कि एक-दूसरे का जूठा भोजन करने से आपस में प्रेम बढ़ता है, यह बात सरासर गलत है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि किसी का जूठा भोजन करने से प्रेम तो नहीं बढ़ता लेकिन आप जिस व्यक्ति का जूठा भोजन करते हैं, उसका दुर्भाग्य भी आपके साथ लग जाता है। उसके सारे रोग भी आपके रोग बन जाते हैं।

भोजन में शुद्धता और सात्विकता होना आवश्यक है। शास्त्र कहते हैं भोजन में कोई भी दूषित पदार्थ, मांसाहार ना हो। भोजन बनाते समय से लेकर उसे परोसने तक भी जूठा हाथ नहीं लगना चाहिए।
– एक-दूसरे का जूठा भोजन करना सर्वदा वर्जित है। यहां तक कि पति-पत्नी को भी एक-दूसरे का जूठा भोजन नहीं खाना चाहिए। शास्त्रों का मत है कि जो व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का जूठा भोजन करता है, वह उस व्यक्ति के सारे ग्रह दोष, उसकी पीड़ाओं और उसके दुर्भाग्य में सहभागी बन जाता है।
– जूठा भोजन करने से संक्रामक रोग फैलने की आशंका रहती है, क्योंकि सभी लोगों के भोजन करने का तरीका अलग-अलग होता है। कोई व्यक्ति बिना हाथ-पैर धोए ही भोजन करने बैठ जाता है, जिससे रोग फैलते हैं।
– वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली का दूसरा भाव धन के साथ वाणी का भी कारक घर होता है। किसी दूसरे का जूठा भोजन खाने से हमारी वाणी प्रभावित होती है। वाणी में कर्कशता आती है।
– जिसका जूठा भोजन खाते हैं उसके अशुद्ध विचार हमारे मस्तिष्क में समा जाते हैं। किसी का जूठा भोजन खाने से ग्रहों की पीड़ा प्रारंभ हो जाती है। इससे हमारे सुखों में कमी आती है।
– जूठा भोजन करने से कुंडली का भाग्य स्थान यानी नवम स्थान प्रभावित होता है, जिससे आपका भाग्य दुर्भाग्य में बदल सकता है।

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