सुप्रभातम्: हनुमान जी ने तोड़ा भीम का अहंकार

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

ताकत के साथ विनम्रता होनी भी जरूरी है, लेकिन अधिकतर लोगों के साथ ऐसा नहीं होता है। जैसे ही किसी व्यक्ति को ताकत मिलती है, वह अहंकारी हो जाता है। अहंकार और ताकत का योग व्यक्ति को बर्बाद कर सकता है। इसलिए अगर हम शक्तिशाली हैं तो हमें विनम्र होना चाहिए। ये बात हम हनुमान जी और भीम की कहानी से सीख सकते हैं।

द्वापर युग की घटना है। पांडव वनवास काट रहे थे। वे उत्तर दिशा में गंधमादन पर्वत के आसपास ठहरे थे। एक दिन द्रौपदी ने भीम से एक सुगंधित फूल लेकर आने के लिए कहा। द्रौपदी की इच्छा पूरी करने के लिए भीम फूल लेने चल दिए।

भीम को रास्ते में बूढ़े वानर की पूंछ दिखाई दी। भीम को अपनी ताकत पर बहुत घमंड था। उसने अहंकार के साथ कहा कि आप अपनी पूंछ हटाइए।

बूढ़े वानर ने पूंछ लांघकर चले जाने के लिए कहा तो भीम ने ऐसा करने से मना कर दिया। तब बूढ़े वानर ने कहा कि तुम खुद मेरी पूंछ हटा दो।

ताकत के घमंड में भीम ने पूंछ हटाने की कोशिश की, लेकिन वह पूंछ हिला भी नहीं पा रहा था। बहुत कोशिशों के बाद भीम को समझ आ गया कि ये कोई सामान्य वानर नहीं हैं।

Uttarakhand

भीम ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की और कहा कि कृपया आप अपना वास्तविक परिचय दीजिए, बताइए आप कौन हैं?

हनुमान जी ने भीम को अपने वास्तविक रूप में दर्शन दिए और समझाया कि बल के साथ विनम्रता होनी चाहिए, अहंकार नहीं। घमंड से बचेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। अहंकारी व्यक्ति बहुत जल्दी बर्बाद हो जाता है।

जीवन प्रबंधन

Uttarakhand

इस किस्से में हनुमान जी ने हमें संदेश दिया है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी ताकत पर घमंड नहीं करना चाहिए। ताकतवर व्यक्ति को दूसरों की मदद करनी चाहिए और हमेशा विनम्र रहना चाहिए।

Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *