हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई टिहरी: शिक्षा जगत में टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों की सीखने की प्रक्रिया काफी आसान और मजेदार हो गई है। ऐसे में अब पहली बार पहाड़ के दूरस्थ ग्रामीण बस्तियों के छात्र और दिव्यांग बच्चे भी आधुनिक युग में लैपटॉप, वर्चुअल लैब, फ्लो चार्टस, डायग्राम्स आदि की सहायता से एक ही जगह पर डिजिटल ज्ञान हासिल कर सकेंगे। इसके लिए एनसीईआरटी के निदेशक प्रो दिनेश सकलानी ने अटल उत्कर्ष राजकीय इंटर कालेज पुजारगांव सकलाना में डिजिटल वाहन को हरी झंडी दिखाई।
तकनीकी ने हर जगह अपनी एक मजबूत पकड़ बना ली है। अगर आधुनिक युग की बात करें तो आज कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, वर्चुअल लैब का जमाना आ गया है। जाहिर सी बात है कि शिक्षा जगत में टेक्नॉलोजी के इस्तेमाल से छात्रों को अपना भविष्य संवारने में आसानी मिल रही है। लेकिन पहाड़ के दूर-दराज इलाके के छात्रों को यह सुविधाएं आसानी से मुहैया नहीं हो पाती हैं। खासतौर पर दिव्यांग बच्चे आसानी से यह सुविधा नहीं ले पाते हैं। ऐसे में डिजिटल साक्षरता कौशल बढ़ाने के लिए एनसीईआरटी के सहयोग से एचपी, एससीईआरटी उत्तराखण्ड, एसएआरडी ने काम करना शुरू कर दिया है।
इसी कड़ी में एनसीईआरटी के निदेशक प्रो दिनेश सकलानी ने पहाड़ के दुर्गम छात्रों को डिजिटल साक्षरता कौशल बढ़ाने के लिए कंटीन्यूड लर्निंग एक्सेस प्रोजेक्ट (सीएलएपी) के माध्यम से पहले डिजिटल वाहन का अटल उत्कर्ष इंटर कालेज पुजारगांव सकलाना में श्रीगणेश किया। बता दें, कि प्रो सकलानी इसी स्कूल के छात्र रहे हैं।
यह डिजिटल वाहन 120 स्मार्ट लैपटॉप, वचुर्अल लैब, एनसीईआरटी का कक्षा 3 से इंटरमीडिएट तक का लर्निंग टीचिंग सामग्री सहित कई शैक्षिक साफ्टवेयर से लैस है। इसमें छात्र आनलाइन और आफलाइन अध्ययन सामग्री का इस्तेमाल कर सकते हैं। खास बात यह है इंटरनेट न होने की दशा में भी सभी मशीनें काम करती हैं। एनसीईआरटी निदेशक प्रो दिनेश सकलानी ने बताया कि एनईपी-2020 के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। बताया कि सीएलएपी डिजिटल वाहन पहाड़ के दुर्गम इलाकों के सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा। इस तकनीकी शिक्षा से बच्चे आनंदपूर्वक और तनावमुक्त शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। इससे लोग अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा दिलाने के लिए मैदानी क्षेत्रों में पलायन नहीं करेंगे। बताया कि यह वाहन गढ़वाल के हर सरकारी स्कूल में एक सप्ताह तक रोटेशन के आधार पर भ्रमण करेगा। जल्द ही कुमाऊँ में भी यह सेवा शुरू की जाएगी।