स्वावलंबन की राह में महिलाओं की ताकत बनी हाड़ीसेरा की ‘बबीता’

महिलाएं समाज का आधार हैं। महिलाओं के बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

Uttarakhand

नई टिहरी।

एक नारी को शक्ति का प्रतीक यूं ही नहीं कहा जाता। अगर वह कुछ करने की ठान ले, तो उसे पूरा करके ही दम लेती हैं। देश में कई ऐसी महिलाएं हैं जो घूंघट की बंदिशें तोड़कर अपने साथ दूसरी महिलाओं के सपनों को उड़ान को बुलंद करने में जुटी हैं। ठीक इसी प्रकार हाड़ीसेरा की बबीता ने अपनी मेहनत के बलबूते ही गरीब महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया है। ताकि हर विपरीत परिस्थिति का महिलाएं डटकर मुकाबला कर सकें और मदद के लिए किसी की मोहतान न रहें।

विकासखण्ड नरेंद्रनगर के हाड़ीसेरा गांव की बबीता स्वावलंबन की राह में महिलाओं की ताकत बन गई हैं। वह बेटियों के साथ ही गांव की महिलाओं को रोजगार के साधन उपलबध कराने में मदद कर रही हैं। दरअसल, बबीता के परिवार के आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनके पति कृषि भूमि पर खेती कर परिवार का पालन-पोषण करते थे। आय सीमित होने के कारण उन्हें परिवार के पालन-पोषण में बहुत परेशानी होती थाी। पति की परेशानी देख बबीता के मन में परिवार की जिम्मेदारी में अपनी सहभागिता निभाने की ठानी। फिर क्या था बबीता ने करीब तीन साल पहले खुद सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण लिया।

सिलाई-कढ़ाई में दक्ष होने के बाद बबीता ने जाजल में अपना खुद का ही सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण केंद्र खोल दिया। फिर उन्होंने क्षेत्र की जरूरतमंद महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। इसके साथ ही बबीता गरीब और असहाय महिला को निशुल्क प्रशिक्षण भी देती है। बबीता कहती हैं कि स्वावलंबन की राह पर चलने के बाद महिलाओं की ताकत बढ़ जाती है। कहती हैं कि खुद ही नहीं बल्कि दूसरी महिलाओं को अब निर्भर बनता देख काफी खुशी मिलती है।

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