बेसहारा गायों के लिए देवदूत बना हिमालय बचाओ आंदोलन

Uttarakhand

हिम शिखर संवाददाता

देवप्रयाग। अब कीर्तिनगर क्षेत्र में सड़कों पर घूमने वाली गायों को ठिकाना मिल सकेगा। इसके लिए हिमालय बचाओ आंदोलन ने निराश्रित गोवंश के लिए गौशाला शुरू कर दी है।

शुक्रवार को कन्हैया गौशाला का शुभारंभ देश के ख्याति प्राप्त पूर्व आईएएस डाॅ कमल टावरी, शाश्वत धाम के स्वामी अद्वैतानंद ने किया।

डा. कमल टावरी ने कहा कि यह विडंबना ही है, कि ज्यादातर लोग दूध बंद करते ही गाय को उसके हाल पर छोड़ देते हैं। कहा कि तेजी से पनप रही बीमारियों पर नियंत्रण के लिए अब जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है। गांव में रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए गाय आधारित कृषि की ओर वापस जाना होगा।

स्वामी अद्वैतानंद ने कहा कि भारतीय संस्कृति के चार प्रमुख स्तम्भों में गाय का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे पूर्वजों में गंगा, गायत्री और गीता के प्रति जो श्रद्धा और सम्मान की भावना रही है वैसी ही गौ-माता के प्रति भी रही है। यह श्रद्धा साम्प्रदायिक या अन्धविश्वास न होकर, गुण, सात्विकता और पवित्रता की दृष्टि से रही है। गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो आॅक्सीजन ग्रहण करता है और आॅक्सीजन ही छोड़ता है। कहा कि प्राचीन काल से ही गोपालन भारतीय जीवन शैली और अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नगर पंचायत अध्यक्ष कैलाशी जाखी ने भी गोवंश के संरक्षण पर अपने विचार रखे।

हिमालय बचाओ आंदोलन के समीर रतूड़ी ने कहा कि ईश्वर के समस्त गुणों से परिपूर्ण गौमाता दर-दर भटक रही है। उन्होंने कहा कि कुछ सियासी दल गाय के नाम पर राजनीति करने तक ही सीमित रह गए हैं। बताया कि अभी तक सड़कों में घूमने वाली 50 गायों को गोशाला में लाया गया है। कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें बेसहारा गायों की सेवा करने का मौका मिला है।

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