हिमशिखर धर्म डेस्क
होलिका दहन और धुलेंडी पर्व को लेकर अलग-अलग स्थिति निर्मित हो रही है। पंचांग में 6-7 मार्च को होलिका दहन और धुलेंडी तथा कई कैलेंडर में 7-8 मार्च को होलिका दहन और धुलेंडी पर्व मनाया जाना बताया गया है। ऐसे में जनमानस में इन दोनों पर्व को लेकर अलग-अलग स्थिति निर्मित होने के साथ ही तय नहीं कर पा रहे हैं पर्व कब मनाएं। शास्त्रों के अनुसार 6 मार्च को होलिका दहन किया जाना और धुलेंडी पर्व 7 मार्च का करना शास्त्र सम्मत है। हालांकि शासकीय व गैर शासकीय संस्थानों सहित अन्य विभागों में 8 मार्च को धुलेंडी पर्व का अवकाश है। इस कारण अधिकांश लोग 8 मार्च को धुलेंडी पर्व मनाएंगे।
6 मार्च को प्रदोष काल में व रात में पूर्णिमा है। भद्रा भी शाम 4.19 से 7 मार्च की सुबह सूर्योदय के पहले 5.14 तक रहेगी। दूसरे दिन पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर से अधिक शाम 6.10 बजे तक रहेगी, लेकिन प्रतिपदा तिथि हासगामिनी ( प्रतिपदा का मान पूर्णिमा से कम है पूर्णिमा का मान 25 घंटा 51 मिनट व प्रतिपदा का मान 25 घंटा 42 मिनट है) होने से पूर्णिमा तिथि में भद्रान्तर्गत प्रदोषकाल अथवा भद्रापुच्छ में होलिका दहन किया जा सकेगा।
प्रदोषकाल का समय शाम सूर्यास्त से 6.29 से रात 9.10 बजे तक होलिका दहन का समय शुभ है। 6 मार्च के दिन होलिका दहन रहेगा और 7 मार्च को धुलेंडी पर्व मनाया जा सकता है। ज्योतिषाचार्य पं. संजयशिवशंकर दवे ने बताया 6 मार्च को शाम 4.19 बजे के उपरांत पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है और यह पूर्णिमा तिथि रातभर और अगले दिन दिनभर विद्यमान रहते हुए 7 मार्च को शाम 6.10 पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो रही है।
जानिए, होलिका दहन कब करें..
सवाल: होलिका दहन की तिथि को लेकर मतभेद क्यों?
जवाब: हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर होली जलती है और अगले दिन रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं, लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन तक रहेगी। इसलिए कन्फ्यूजन हुआ है। साथ ही अशुभ भद्रा काल भी रहेगा। इसी कारण किसी पंचांग में होलिका दहन 6 तो किसी में 7 मार्च को बताया है।
सवाल: पूर्णिमा और भद्रा कब से कब तक रहेगी?
जवाब: पूर्णिमा 6 मार्च की शाम तकरीबन साढ़े 4 बजे शुरू होगी और 7 की शाम लगभग 6.10 तक रहेगी। साथ ही भद्रा 6 मार्च की शाम करीब 4:18 से 7 मार्च की सुबह सूर्योदय तक रहेगी। इसमें भद्रा का पुच्छ काल 6 और 7 मार्च की दरमियानी रात 12.40 से 2 बजे तक रहेगा।
सवाल: होलिका पूजन कब करें?
जवाब: होली की पूजा पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के समय करने का विधान है। इसलिए 6 मार्च की शाम, गोधुलि बेला में यानी शाम 6.24 से 6.48 के बीच ही होली पूजा करना शुभ रहेगा।
सवाल: होलिका दहन कब करें?
जवाब: होलिका दहन 6 और 7 मार्च के बीच की रात 12.40 से 2 बजे के बीच करना शुभ रहेगा, क्योंकि 7 मार्च की शाम को पूर्णिमा तिथि 6.10 तक ही रहेगी। चूंकि होलिका दहन सूर्यास्त के बाद किया जाता है और इस दिन पूर्णिमा सूर्यास्त से पहले ही खत्म हो जाएगी।
सवाल: कैसे तय होता है होलिका दहन का मुहूर्त?
जवाब: होलिका दहन का मुहूर्त तीन बातों से तय होता है। जिसमें पूर्णिमा तिथि और सूर्यास्त के बाद का समय जिसे प्रदोष काल कहते हैं। ये दोनों होना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि भद्रा काल न हो।
उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष पंडित उदय शंकर भट्ट कहना है कि बहुत ही कम ऐसा होता है जब ये तीनों योग एक साथ बने। इसलिए सबसे जरूरी बात पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन होना चाहिए। पूर्णिमा के साथ भद्रा भी हो तो पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल में यानी भद्रा के आखिरी समय में होलिका दहन कर सकते हैं।