पहल: जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर गंगा मिशन चलाएगा जनजागृति अभियान 

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ शहर को लेकर हर तरफ चिंता है। जोशीमठ नगर प्राचीन, आध्यात्मिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है लेकिन नगर के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। नगर में जगह-जगह से हो रहा भू-धंसाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर गंगा मिशन ने पूरे देश में जनजाग्रति अभियान चलाने का निर्णय किया है। इस अभियान के तहत गंगा मिशन की ओर से पोस्‍ट कार्ड अभियान चलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिमालय क्षेत्र में पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की जाएगी। यह निर्णय मिशन की ओर से आयोजित ऑनलाइन मीटिंग में लिया गया। इस मीटिंग देश भर के 40 से अधिक पर्यावरणविदों ने हिस्‍सा लिया। बैठक में शामिल वक्‍ताओं का कहना था कि विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। विकास जरूरी है मगर हमें यह देखना होगा कि हम विकास की क्‍या कीमत चुका रहे हैं। केवल बिजली पैदा करने के लिए हम इतने व्‍यापक पैमाने पर पर्यावरण की क्षति को बर्दाश्‍त नहीं कर सकते।

 गंगा मिशन के प्रमुख प्रह्लादराय गोयनका ने कहा कि बद्रीनाथ, जोशीमठ सहित इस क्षेत्र में स्थित तमाम तीर्थ स्‍थल हमारी सभ्‍यता और संस्‍कृति के अभिन्‍न अंग हैं। इनके नष्‍ट होने से हमारी सभ्‍यता ही नष्‍ट हो जाएगी। बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए पर्यावरणविद भरत झुनझुनवाला ने कहा कि यह समय त्‍वरित कार्रवाई करने का है। हमें गंगा की अविरलता को बाधित करने और पर्यावरण को क्षति पहुचाने वाली परियोजनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा और इसके लिए जनता को जागरुक करना होगा।

बैठक में निर्णय किया गया कि महाविद्यालयों में छात्रों से सम्‍पर्क कर उन्‍हें क्षेत्र में चल रही इस तरह की परियोजनाओं के बारे में जागरुक किया जाएगा। देश के भूवैज्ञानिकों के दल को उत्‍तराखंड ले जाकर उनसे हिमालय के संवेदनशल पारिस्थितिकी तंत्र का अध्‍ययन कर वास्‍तविक स्थिति देश के सामने रखने को कहा जाएगा। गंगा और इसे क्षेत्र के पर्यावरण से जुड़े मद्दों की जानकारी आम आदमी तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल किया जाएगा और इस संबंध में एक वैबसाइट भी बनाई जाएगी।

बैठक में जीतेंद्र मिश्रा, सागर राजवंशी, तापसदास, रामशरणा जी, आनंद प्रकाश तिवारी, सुमित सहित अनेक लोगों ने अपने विचार रखे।

जोशीमठ का आध्यात्मिक और सामरिक महत्व

जोशीमठ नगर आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली रहा है। शीतकाल में बदरीनाथ धाम से शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में विराजमान होती है। यहां भगवान नृसिंह का भव्य मंदिर है। मान्यता है कि बदरी नाथ धाम में दर्शन के लिए जाने से पहले भगवान नृसिंह के दर्शन किये जाते हैं। यहां पर शीतकाल के दौरान गद्दी की पूजा की जाती है। जोशीमठ बदरीनाथ धाम और हेमकुंड की यात्रा का प्रमुख पड़ाव भी है। जोशीमठ नगर जो चीन सीमा से पहले सेना के लिए अंतिम नगर होने के कारण काफी महत्वपूर्ण है। जोशीमठ में भगवान नृसिंह का मंदिर है, शंकराचार्य की गद्दी स्थल है। पर्यटन और तीर्थाटन का यह मुख्य स्थान है लेकिन पिछले कुछ समय से इस नगर का स्वरूप बदलने लगा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *