ज्योतिष विज्ञान : सर्वार्थ सिद्धि योग क्या होता है ?

हर कार्य को करने के लिए शुभ समय की तलाश की जाती है, इसीलिए भारतीय संस्कृति में ज्योतिष विज्ञान की उपादेयता है, और उस विज्ञान में मानव को सही मार्गदर्शन दिखाया गया है। शुभ कार्य तो हर समय होते रहते हैं किन्तु जब कई ग्रह अस्त हो जाते हैं तो उसमें शुभ कार्य नहीं हो पाते हैं। आज हम आपको सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में बता रहे हैं। इस योग के समय कुछ शुभ कार्य किये जा सकते हैं। आइये जानते हैं सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में-

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पंडित हर्षमणि बहुगुणा

सर्वार्थ सिद्धि योग किसी शुभ कार्य को करने का शुभ मुहूर्त होता है। जैसा की आप जानते है बिना शुभ मुहूर्त के कोई भी कार्य करना लाभकारी नहीं होता, लेकिन कई बार किसी कारणवश मुहूर्त से पहले जरुरी कार्य करने पड़ सकते हैं। ऐसे में पुनः शुभ मुहूर्त की गणना करना थोडा मुश्किल है लेकिन शास्त्रों में इसका भी समाधान दिया गया है।

जी हां, इस स्थिति में आप सर्वार्थ सिद्धि योग में उस कार्य को कर सकते हैं। अर्थात् यदि किसी शुभ कार्य को करने के लिए आवश्यक और सही मुहूर्त नहीं मिल पा रहा है तो आप सर्वार्थ सिद्धि योगों में अपना शुभ कार्य कर सकते हैं। इन मुहूर्तों में शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि पर विचार करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि ये मुहूर्त अपने आप में भी सिद्ध मुहूर्त होते हैं। इसके अलावा कुयोग को समाप्त करने की शक्ति भी इस मुहूर्त में होती है।

कब और कैसे बनता है सर्वार्थ सिद्धि योग
सर्वार्थ सिद्धि योग एक अत्यंत शुभ योग है जो निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। यह योग एक बहुत ही शुभ समय है जो कि नक्षत्र वार की स्थिति के आधार पर गणना किया जाता है।

जैसे कि – सोमवार को रोहिणी, मृगशिरा, श्रवण और अनुराधा नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग होता है ।

मंगलवार को उत्तराभद्रापद, अश्विनी, कृतिका नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग होता है।

बुधवार को रोहिणी, हस्त, कृतिका, अनुराधा और मृगशिरा नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग होता है।

गुरुवार को अनुराधा, रेवती, पुनर्वसु, अश्विनी नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग होता है।

शुक्रवार को अनुराधा, अश्विनी, रेवती नक्षत्र पड़ने पर ये योग बनता है ।

शनिवार को रोहिणी, श्रवण और स्वाति नक्षत्र पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है ।

रविवार को मूल, अश्विनी, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, पुष्य, उत्तराभाद्रपद और उत्तराषाढ़ा पड़ने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है !

इस योग में कार्य करने से चतुर्दिक या सर्वागीण सफलता प्राप्त होती है ! वार और तिथि के योग से ‘सिद्धियोग’ होता है तो वार तथा चंद्र नक्षत्र के योग द्वारा ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ बनता है। यह योग सभी इच्छाओं तथा मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कोई भी नया कार्य जो कि सर्वार्थ सिद्धि योग में प्रारंभ किया जाता है। वह निश्चित ही सफलतापूर्वक संपन्न होता है तथा इच्छित फल प्रदान करता है। यह योग विशेष वारों को पड़ने वाले विशेष नक्षत्रों के योग से निर्मित होता है।

इस शुभ योग में शुभ कार्य आरंभ किए जा सकते हैं परंतु कुछ कार्य वर्जित भी होते हैं। इस योग में ये काम किये जा सकते हैं जैसे मकान खरीदना हो, दुकान का उद्घाटन करना हो, ऑफिस का उद्घाटन करना हो, वाहन खरीदना हो, क्रय-विक्रय करना हो, मकान की रजिस्ट्री करनी हो, मकान की चाभी लेनी हो, मकान किराय पर देना हो, सगाई करनी हो या टीका करना हो इन सभी कार्यों को आप बेहिचक इस मुहूर्त में कर सकते हैं। इस मुहूर्त में किया गया हर कार्य सफल होता है और व्यक्ति को लाभ प्रदान करता है।

 इस योग में ये काम नहीं माने जाते हैं ठीक
सर्वार्थ सिद्धि योग विवाह के लिए ठीक नहीं होता है, इस योग में यात्राएं करना और गृह प्रवेश करना शुभ नहीं माना जाता है।

इन परिस्थितियों में यह योग होता है अशुभ
सर्वार्थ सिद्धि योग यदि गुरु पुष्य योग से निर्मित होया शनि रोहणी योग से निर्मित हो या मंगल अश्विनी योग से निर्मित हो तो यह योग अशुभ माना जाता है। इसलिए ऐसे समय पर कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

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