हिमशिखर खबर ब्यूरो।
आज (5 फरवरी) माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी (बसंत पंचमी) है। इस तिथि पर देवी सरस्वती का प्रकट उत्सव मनाया जाता है। इसे वागीश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। देवी सरस्वती विद्या की देवी हैं। विद्या को सभी प्रकार के धनों में श्रेष्ठ कहा गया है। जिस पर देवी सरस्वती की कृपा होती है, उसे माता लक्ष्मी की कृपा भी जरूर मिलती है।
सृष्टि की रचना के बाद आद्यशक्ति ने स्वयं को पांच भागों में बांट लिया था। ये पांच भाग हैं राधा, पद्मा, सावित्री, दुर्गा और सरस्वती। उस समय भगवान के कंठ से प्रकट होने वाली देवी ही सरस्वती हैं। वाक, वाणी, गिरा, भाषा, शारदा, वाचा, वाग्देवी सरस्वती जी के ही नाम हैं।
देवी सरस्वती का पूजा व्यक्तिगत रूप से ही करनी चाहिए। देवी के पूजन में सफेद वस्तुओं को प्रयोग करना चाहिए। प्राचीन समय में इसी तिथि से बच्चों का विद्याध्यन आरंभ कराया जाता था।
जानिए राशि अनुसार कैसे देवी सरस्वती का पूजन किया जा सकता है
मेष- सरस्वती जी को शहद का भोग लगाएं। केसरी वस्त्र पहनकर देवी की पूजा करें।
वृषभ- सरस्वती जी को मिष्ठाई का भोग लगाएं। सफेद वस्त्र पहनकर देवी पूजा करें।
मिथुन- देवी सरस्वती को मूंग के हलवे भोग लगाएं। हरे कपड़े धारण करके पूजा करें।
कर्क- माता सरस्वती को दही का भोग लगाएं। सफेद वस्त्र पहनें और फिर पूजा करें।
सिंह- मां सरस्वती को गाजर के हलवे का भोग लगाएं। लाल वस्त्र पहनकर पूजा करें।
कन्या- सरस्वती मां के सामने घी का दीपक जलाएं। पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें।
तुला- सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करें और सरस्वती जी को इत्र चढ़ाएं।
वृश्चिक- केसरी वस्त्र धारण करें और सरस्वती जी को मौसमी फलों का भोग लगाएं।
धनु- पूजा में नारंगी वस्त्र धारण करें। सरस्वती जी को दूध का भोग लगाएं।
मकर- सरस्वती जी को मक्खन का भोग लगाएं। पूजा पीले वस्त्र धारण करें।
कुंभ- माता सरस्वती को चने-गुड़ का भोग लगाएं। पीले वस्त्र धारण करके पूजा करें।
मीन- सरस्वती जी को मीठे चावल का भोग लगाएं। पीले वस्त्र धारण करें।