तुरीय अवस्था में परमात्मा से होता है मिलन: पांगती

  • भारतीय संस्कृति सबसे पुरातन और महान, इससे अन्य संस्कृतियों का भी उद्भव
  • लेने हैंडबर्ग की पुस्तक ल्यूसिड ड्रीम विजडम का देहरादून में हुआ लोकार्पण
  • स्वप्न योग की अवधारणा पर जोर देती है यूसिड ड्रीम विजडम

प्रदीप बहुगुणा

Uttarakhand

देहरादून: मनुष्य के मस्तिष्क की चार अवस्थाएं होती है। इनमें से तुरीय अवस्था ऐसी है जिसमें परमात्मा से आत्मा का मिलन होता है और इस अवस्था में व्यक्ति भविष्य के बारे में भी सबकुछ जान लेता है। यह कहना है पूर्व नौकरशाह एसएस पांगती का। पांगती देहरादून के एक होटल में ल्यूसिड ड्रीम विजडम पुस्तक के लोकार्पण के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन और महान है तथा इससे कई अन्य संस्कृतियों का भी उद्भव हुआ है। ल्यूसिड ड्रीम विजडम पुस्तक पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नींद में हम सब जाने और अनजाने लोगों और घटनाओं के बारे में स्वप्न देखते हैं। भारत के ऋषि-मुनियों का कहना था कि मनुष्य का मस्तिष्क चार अवस्थाओं में रहता है। पहला जागृत, दूसरा स्वप्न तीसरा सुसप्त और चौथी तुरीय अवस्था। पहली दो अवस्थाएं एक साथ चलती रहती हैं। तीसरी सुसप्त अवस्था बेहोशी की होती है जबकि चौथी तुरीय सबसे अहम और आत्मा से परमात्मा के मिलन की है। इस अवस्था को दिव्य स्वप्न अवस्था भी कह सकते हैं।

पुस्तक की लेखिका लेने हनबर्ग एक डेनिश तिब्बती बौद्ध विद्वान हैं। वह ताराब लिंग संस्थान की सह-संस्थापक भी हैं। तराब लिंग की स्थापना तराब रिनपोछे के आदर्शों पर की गई है जो एक तिब्बती धर्मगुरु थे। तराब रिनपोछे एक स्वप्न योगी थे। लेने हनबर्ग ने ताराब रिनपोछे के साथ एक सहकर्मी के रूप में काम किया है और साथ ही उनकी शिष्या भी रह चुकी हैं। पुस्तक एक संदर्भ के रूप में मूल बौद्ध दर्शन की संगणना करती है और फिर एक आवश्यक योग अभ्यास के रूप में स्वप्न योग की अवधारणा पर जोर देती है। पुस्तक के लोकार्पण के बाद पुस्तक के संदर्भ में एक परिचर्चा भी हुई। इसमें अशोका विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रोफेसर माधविलथा, एक तिब्बती विद्वान ओल्गा, वकील और स्पेन की तिब्बती विद्वान मगंती जेनेवीव हेमलेट शामिल रहीं। सत्र की अध्यक्षता एसएस पांगती ने की।

आज की दुनिया में मनुष्य इतना तनावग्रस्त है कि नहीं जुड़ पा रहा आत्म से: माधविलथा लेने ने कहा कि आंतरिक विज्ञान केवल एक अवधारणा नहीं है बल्कि वह आंतरिक उपस्थिति को समझने का एक तरीका भी है। स्वप्न योग योग और ध्यान मंडलियों के बीच शायद ही कभी जाना जाता है, लेकिन स्वप्न अवस्था ध्यान की एक अत्याधिक गहन और गहरी अवस्था है जहाँ अक्सर स्वयं के अवतार का एहसास होता है। माधविलथा ने कहा कि अशोका विश्वविद्यालय में अब इन पद्धतियों का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य उपचार के नए तरीके खोजने के लिए किया जा रहा है, आज की दुनिया में मनुष्य इतना तनावग्रस्त है कि वह अपने भीतर के आत्म से जुड़ नहीं पा रहा है जो आसानी से उसे इस ओर ले जा है। पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर ताराब लिंग संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के साथ-साथ कई अन्य विभूतियां भी मौजूद थीं। यह पुस्तक अमेजन इंडिया पर उपलब्ध है। कार्यक्रम का संचालन बिनीता शाह ने किया। नोर्बु वांगचुक ने कार्यक्रम में शामिल लोगों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एनएस. नपलच्याल, विभापुरी दास, मंजरी मेहता, चन्द्रशेखर तिवारी, सुंदर बिष्ट आदि भी मौजूद थे।

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