सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पत्रकार कल्याण योजना की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की

नई दिल्ली

Uttarakhand

सूचना और प्रसारण मंत्रालय की पत्रकार कल्याण योजना के मौजूदा दिशा-निर्देशों की समीक्षा और उनमें उपयुक्त बदलावों की सिफारिशें करने की कार्यवाही शुरू हो गई है। इसके लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रसिद्ध पत्रकार और प्रसार भारती के सदस्य अशोक कुमार टंडन की अध्यक्षता में एक दस-सदस्यीय समिति का गठन किया है।

मंत्रालय के इस निर्णय को मीडिया के इको स्पेस में हुए कई बदलावों के तहत् माना जा रहा है, जिसमें कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में पत्रकारों की मृत्‍यु हो गई थी। साथ ही “श्रमजीवी पत्रकार” की परिभाषा का व्यापक आधार के आलोक में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पत्रकार कल्याण योजना पिछले कई वर्षों से अस्तित्व में है। इसे देश के पत्रकारों के हित में भविष्य की दृष्टि से लाभकारी बनाने और उसके कवरेज को व्यापक आधार देने की जरूरत है। ऑक्यूपेशनल, सेफ्टी, हेल्थ और वर्किंग कंडीशन कोड 2020 के अधिनियमन के साथ पारंपरिक और डिजिटल मीडिया, दोनों में काम करने वाले पत्रकारों को इसके दायरे में शामिल करने के लिए श्रमजीवी पत्रकार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। इसके साथ ही इस योजना के तहत कल्याण और लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकारों के बीच संभावित समानता को भी जरूरी समझा गया।

समिति द्वारा दो महीने के भीतर समयबद्ध तरीके से अपनी रिपोर्ट दिए जाने की उम्मीद है। इसकी सिफारिशों से सरकार को पत्रकारों के लाभ के लिए नए सिरे से दिशा-निर्देश तैयार करने में मदद मिलेगी।

अशोक कुमार टंडन की अध्यक्षता वाली इस समिति में द वीक के स्थानीय संपादक सच्चिदानंद मूर्ति, स्वतंत्र पत्रकार शेखर अय्यर, न्यूज 18 के अमिताभ सिन्हा, बिजनेस लाइन के शिशिर कुमार सिन्हा, जी न्यूज के विशेष संवाददाता रविंदर कुमार, पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर, हिंदुस्तान टाइम्स की सुश्री स्मृति काक रामचंद्रन, टाइम्स नाउ के अमित कुमार, इकोनॉमिक टाइम्स की सुश्री वसुधा वेणुगोपाल और पत्र सूचना कार्यालय में एडिशनल डीजी  कंचन प्रसाद शामिल हैं।

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