हिमशिखर खबर ब्यूरो
देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन किए। केदारनाथ में वे गर्भगृह में करीब 20 मिनट तक पूजा करते रहे। विशेष परिधान पहन रखा था, जो उन्हें हिमाचल की महिलाओं ने गिफ्ट किया था। इसे चोला-डोरा कहते हैं। पोशाक पर स्वास्तिक बना था। केदारनाथ में करीब 2 घंटे रुके।
बदरीनाथ में जनसभा समाप्ति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बदरीनाथ धाम में बीआरओ के गेस्ट हाउस में बनाए रात्रि प्रवास स्थल पर पहुंचे। जनसभा के तुरंत बाद यहां बदरीनाथ और माणा गांव में मौसम खराब हो गया। अभी प्रधानमंत्री अपने रात्रि प्रवास स्थल पर हैं और अधिकारियों के साथ मास्टर प्लान पर चर्चा कर रहे हैं।
इससे पहले देश के अंतिम गांव माणा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनसभा में जहां एक ओर माणा और उत्तराखंड के लोगों की तारीफ की और हिमाचल राज्य का जिक्र किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का होगा। सीमा पर रहने वाले लोग देश के सशक्त प्रहरी हैं। सीमा का आखिरी गांव ही पहला गांव है। बार्डर के गांवों में चहल पहल बढ़नी चाहिए।
21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं। पहला- अपनी विरासत पर गर्व, दूसरा- विकास के लिए हर संभव प्रयास। पीएम मोदी ने कहा कि कहा कि हमारे देश को गुलामी की जंजीरों ने ऐसा जकड़ रखा है कि कुछ लोगों को विकास के कार्यों पर सवाल उठाते हैं। पहले देश में अपनी ही संस्कृति को लेकर हीन भावना थी। लेकिन अब केदारनाथ, बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, काशी उज्जैन अयोध्या जैसे श्रद्धा के केंद्र अपनी भव्यता को दर्शा रहे हैं। देश में अब गुलामी की मानसिकता को खत्म करने की जरूरत है। कहा कि पहले की सरकारों ने सीमांत के लोगों के सामर्थ्य को उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल किया है।
भारत के अंतिम गांव तक विकास पहुंचा है। विकास के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। गुलामी की मानसिकता को हटाना होगा। प्रधानमंत्री ने गांव की महिलाओं द्वारा तैयार किए उत्पाद की सराहना की और हिमाचल में उत्तराखंड की चर्चा का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त जनरल गुरमीत सिंह भी थे।