नाग पंचमी विशेष: राजा परीक्षित को डंसा था तक्षक नाग ने, इसके बाद जनमेजय ने किया था नाग दाह यज्ञ

हिमशिखर धर्म डेस्क

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हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शु्क्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। पौराणिक काल से सर्प देवताओं की पूजन की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के कारण होने वाला किसी भी प्रकार का भय खत्म हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की आराधना करने से जातकों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

आज शुक्रवार, 9 अगस्त को नाग पंचमी है। शास्त्रों में नागों के बारे में भी कई कथाएं बताई हैं। एक कथा राजा परिक्षित से जुड़ी है।

महाभारत में अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को जब ये मालूम हुआ कि अगले सात दिन के बाद उसकी मृत्यु तक्षक नाग के डंसने से होगी, तब परीक्षित ने इन सात दिनों में शुकदेव जी से श्रीमद् भागवत कथा सुनी थी। सातवें दिन तक्षक सांप के डंसने पर परीक्षित की मृत्यु हुई। परीक्षित के बाद उसका पुत्र जनमेजय राजा बना।

राजा जनमेजय को जब ये मालूम हुआ कि उसके पिता परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी तो वह बहुत गुस्सा हो गया। जनमेजय ने नागों से बदला लेने के लिए नाग दाह यज्ञ शुरू करवाया।

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यज्ञ शुरू होने के बाद पूरी धरती से सांप आकर यज्ञ कुंड में गिरने लगे। ऋषि-मुनि नागों के नाम ले-लेकर आहुति दे रहे थे और सांप कुंड में गिरते जा रहे थे। इस यज्ञ से डरकर तक्षक नाग देवराज इंद्र के पास जाकर छिप गया था।

उस समय आस्तिक मुनि को यज्ञ के बारे में मालूम हुआ तो वे यज्ञ स्थल पहुंच गए। जनमेजय सभी मुनियों का बहुत सम्मान करता था, उसने आस्तिक मुनि को प्रणाम किया। आस्तिक जी ने राजा को नाग दाह यज्ञ बंद करने के लिए समझाया तो जनमेजय ने यज्ञ रोक दिया और नाग पूरी तरह से नष्ट होने से बच गए।

पूजा में हल्दी नाग देव को हल्दी भी जरूर चढ़ाएं

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नाग पंचमी पर सबसे पहले गणेश पूजन करना चाहिए। गणेश पूजा के बाद शिव जी, देवी पार्वती की पूजा करें। शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत चढ़ाएं। बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा, गुलाब आदि चीजें चढ़ाएं। चंदन से तिलक करें। शिव जी के साथ ही नाग देव की पूजा भी करें। नाग देव को हार, फूल-प्रसाद, चंदन आदि चीजों के साथ ही हल्दी भी जरूर चढ़ानी चाहिए। धूप-दीप जलाकर शिव जी और नाग देव की आरती करें।

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