शख्सियत: 94 वर्षीय स्वस्थ दादी मां को कुदरत की सौगात, देख रही हैं कुटुम्ब की पांचवी पीढ़ी, गीता-ललिता सहस्रनाम के श्लोक हैं कंठस्थ

  • ब्रह्ममुहूर्त में हो जाती हैं ध्यान मग्न
  • मात्र पांचवीं कक्षा तक पढ़ी, गीता-ललिता सहस्रनाम के श्लोक हैं कंठस्थ
  • 94 साल की उम्र में भी 20 साल की लड़की के समान हैं ऊर्जावान
  • राम नाम का करोड़ बार लेखन
  • प्रशासनिक कुशलता में दक्ष

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

देहरादूनः समाज में कई बुजुर्ग होंगे, जो अपनी तीसरी या चैथी पीढ़ी का अहसास ले रहे होंगे, लेकिन पांचवीं पीढ़ी तक कुटुम्ब का मुखिया बनना काफी कम होता है। देहरादून में मूल रूप से उड़ीसा निवासी 94 वर्षीय एम सुब्बा लक्ष्मी जी को कुदरत ने पांचवीं पीढ़ी का सुख भी दिया है। यकीन मानिए, एम सुब्बा लक्ष्मी इस समय भी पूरी तरह से स्वस्थ हैं। ये एक संयोग ही है, जब एक परिवार की पांच पीढ़ियां एक साथ नजर आ रही हों। इसके पीछे दादी मां का खान-पान और आध्यात्मिक जीवन शैली है।

देहरादून के प्रेमनगर स्थित विजय मिलन मठ में आश्रमवास कर रही एम सुब्बा लक्ष्मी का जीवन आध्यात्म का प्रेरणा पुंज है। रोज सुबह ब्रह्ममुहूर्त में जागरण और ध्यान, उम्र के इस पड़ाव में भी उत्साह युवाओं जैसा, गीता और ललिता सहस्रनाम सहित कई स्तोत्र मौखिक याद…ऐसे अद्भुत व्यक्तित्व की धनी हैं एम सुब्बा लक्ष्मी। इनके पतिदेव श्री मंथा सर्वेश्वर शास्त्री जी सन 2000 मे गोलोक पधार गए। श्री शास्त्री जी नारी शक्ति का सम्मान करते हुए अपने पत्नी को पूर्ण स्वतंत्रता दिए थे। श्री शास्त्री जी पदाधिकारी के साथ ही एक बड़े ज्योतिष शास्त्रज्ञ भी थे। 

उम्र के इस पड़ाव में भी जारी है आध्यात्मिक साधना

दादी का जीवन साक्षात में योग की जीती-जागती मिशाल है। उन्होंने गीता का स्वाध्याय कर जीवन में धारण किया है। जीवन के 94 बसंत पार करने के बाद भी आज भी आपकी ऊर्जा और उत्साह देखते ही बनता है। दादी मां को लोग देखकर, सुनकर और मिलकर प्रेरित हुए हैं। उनका जीवन लोगों के लिए मिशाल है। दूसरों के दुखों को देखकर सहायता का हर संभव प्रयास करती हैं।

समय का करती हैं सदुपयोग

एम सुब्बालक्ष्मी दिनभर कुछ न कुछ स्तोत्र का पाठ करती रहती हैं। इतना ही नहीं कुछ काम करते समय भी अंतर मन से स्तोत्र पाठ गुनगुनाती रहती हैं। दादी मां के जीवन में खान-पान, अनुशासन का अहम रोल है।

उड़ीसा में 1928 में हुआ था जन्म

श्रीमती सुब्बलक्ष्मी ने पांचवीं तक पढ़ाई की है। भक्ति भाव के संस्कार बचपन से ही मां-बाप से विरासत में मिले। ज्यादा पढ़ी-लिखी न होते हुए भी 9 संतानों को विद्यादान को प्रधानता दी। 4 पुत्रों में एक डाक्टर हैं और 3 इंजीनियर हैं, जिसमें से दो पुत्रों ने संन्यास ले रखा है। इनका बडा़ पोता परिव्रजकाचार्य संन्यासी है और टिहरी गढवाल जिला के देवदर्शिनी (गियाधार) विजय मिलन मठ के अध्यक्ष है। दादी का दान का हाथ खुला हैै। ब्राह्मण के प्रति श्रद्धाभाव के कारण उनका सत्कार करने का मौका गंवाती नहीं हैं। सभी वर्णों और आश्रम वालों को आदर सत्कार करती हैं।

फैक्ट फाईल

4 फरवरी 1928 उड़ीसा में जन्म

दूसरे विश्व युद्ध का बम शहर में गिरते देखा।

किंग जाॅर्ज और विक्टोरिया का शासन अनुभव किया।

स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता पाने में भाग लिया।

रेडिया की खबर की शुरूआत देखा।

सबसे पहले बिजली की स्ट्रीट लाइट को लगते देखा।

गल्फ और अमेरिका एवं चीन (नाथुला पास) बाॅर्डर तक गई।

गो पूजा में निष्ठावान।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *