गोपाष्टमी आज: गाय में होता है देवताओं का वास, गौ पूजन से भगवान होते हैं प्रसन्न

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज गोपाष्टमी है। गोवंश की देवताओं की तरह ही पूजा की जाती है। देवी और देवता गाय के अंदर निवास करते हैं और इसलिए गाय हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती हैं। गाय को आध्यात्मिक और दिव्य गुणों का स्वामी माना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गाय चराई थी। यशोदा मईया भगवान श्रीकृष्ण को प्रेमवश कभी गौ चारण के लिए नहीं जाने देती थीं, लेकिन एक दिन कन्हैया ने जिद कर गौ चारण के लिए जाने को कहा। तब यशोदा जी ने ऋषि शांडिल्य से कहकर मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए अपने श्रीकृष्ण को गौ चारण के लिए भेजा। मान्यता है कि गाय में 33 कोटि देवताओं का वास होता है। इसलिए गौ पूजन से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।

गौ वंश पूजा का महत्व

हिंदू धार्मिक मान्यताओं में गाय और गौवंश की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि गौ सेवा करने वालोंके समस्त पाप नष्ट होकर उन्हें परमलोक मिलता है। पौराणिक कथाओं में जिक्र है कि जिस दिन भगवान कृष्ण ने वन में गायों को चराने की शुरुआत की थी उस दिन के उपलक्ष्य में ये पर्व मनाते हैं।

– गीता में कहा है श्री कृष्ण ने गीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि ‘गवा॑ मध्ये बसाम्यहम्’ अर्थात में गायों के बीच में ही रहता हूं। – गोपाष्टमी पर गाय और बछड़े का स्नान करवाकर उनकी पूजन व श्रृंगार करें। इसके बाद उनकी आरती उतारकर प्रणाम करें। – मान्यता यह भी है कि गाय के शरीर में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं इसलिए गौ पूजन करने से सभी देवताओं की पूजा अपने आप हो जाती है। इसलिए परिवार के साथ गाय की परिक्रमा करनी चाहिए और हरा चारा खिलाना चाहिए। – इस दिन गायों के साथ भगवान कृष्ण की पूजा भी होती है। मान्यता है, ऐसा करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है और सौभाग्य प्राप्ति होती है।

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