काका हरिओम्
कहते हैं कि जुनूं के लिए बस जुनूं चाहिए. ऐसा ही एक जुनून देखने को मिलता है उनमें जो मां प्रकृति की उपासना वृक्षों को रोप कर करते हैं.
मैं तब और भी ज्यादा हैरान हुआ हूं जब वृक्षों को रोपते हुए मैंने इन प्रेमियों को उनसे बातें करते हुए देखा है.
ऐसी ही एक स्नेहभरी बहन से मिलने का अवसर मिला आज. जालंधर (पंजाब )से आईं बहन श्रीमती इंदिरा सहदेव ने अपनी पुत्रवधू डिम्पल सहदेव के साथ आश्रम परिसर में कई तरह के वृक्ष लगाए, जैसे कि-रुद्राक्ष, कदंब, बिल्व, अशोक, बादाम, कपूर, अखरोट, अंजीर, नीम के अलावा आम्रपाली आम,अमरूद,आड़ू और शहतूत।
इन पौधों को रोपते समय उनका कहना था, आज इस उपासना की हम सबको ज्यादा जरूरत है. जिसदिन मैं ऐसा कुछ नहीं कर पाती, मुझे लगता है कि कुछ महत्वपूर्ण आज मुझसे छूट गया है.