पंडित उदय शंकर भट्ट
आज सावन का दूसरा सोमवार और प्रदोष व्रत है। सोमवार को प्रदोष होने से इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत में की गई शिव पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
इस साल सावन के सोम प्रदोष पर अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्ध योग भी बन रहे हैं। प्रदोष व्रत में पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जानिए ये बातें कौन-कौन सी हैं…
शिव पूजा के लिए पूजन सामग्री के साथ ही जगह का भी काफी महत्व है। पूजा के लिए ऐसी जगह का चयन करना चाहिए, जहां साफ-सफाई हो, पवित्रता हो। घर में जहां पूजन कक्ष है, वहां भी सफाई और पवित्रता रखें। इस संबंध में एक कथा के अनुसार एक दिन देवी पार्वती जी ने शिव जी से पूछा था कि क्या भक्ति करते समय भक्त को वातावरण और जगह का भी ध्यान रखना चाहिए?
शिव जी ने देवी पार्वती को एक पंडित की कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार पुराने समय में एक पंडित बहुत पूजा-पाठ करते थे, लेकिन उन्हें शांति नहीं मिल रही थी। उस समय उन्हें एक संत ने बताया कि एक बकरी चराने वाले व्यक्ति से तुम्हें शांति प्राप्त करने का उपाय मिल सकता है।
संत की बात सुनकर पंडित उस बकरी चराने वाले व्यक्ति के पास पहुंच गया। बकरी चराने वाला जंगल में रहता था। जंगल में पशु-पक्षियों की आवाजें आ रही थीं, नदी थी तो पानी की आवाज भी आ रही थी। वहां का वातावरण सुकुन पहुंचाने वाला था। वहीं बकरी चराने वाला ध्यान में बैठा हुआ था। पंडित उसके पास पहुंचा और कहा कि यहां का वातावरण बहुत ही दिव्य है। इसकी वजह क्या है?
बकरी चराने वाले कहा कि यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। मंदिर की वजह से इस पूरे क्षेत्र में दिव्यता का अनुभव होता है। यहां आते ही मन शांत हो जाता है। पशु-पक्षियों की आवाजें और नदी के पानी आवाज की वजह से भी ध्यान नहीं टूटता है। अगर हमारे आसपास का वातावरण पवित्र हो और नीयत साफ हो तो पूजा में मन लगता है और शांति मिलती है।
अगर आप भी प्रदोष व्रत करना चाहते हैं और पवित्र स्थान पर शिव पूजा करें और पूजा निस्वार्थ भाव से करें, नीयत साफ रखेंगे तो मन को शांति जरूर मिलेगी।