पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सहयोगी शिवकुमार पारीक नहीं रहे, पीएम मोदी ने भी जताया दुख

नई दिल्ली:

Uttarakhand

भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे शिवकुमार पारीक का शनिवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. शिवकुमार पारीक ने अटल बिहारी वाजपेयी जी की अंतिम समय तक सेवा की थी. लंबे समय से बीमार चल रहे पारीक ने दिल्ली में अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार आज रविवार यानी 6 मार्च को जयपुर के चांदपोल मोक्षधाम में होगा. शिवकुमार पारीक के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री ने कहा; श्री शिव कुमार पारीक जी के निधन से दुखी हूं. वह हमारी पार्टी की विचारधारा से मजबूती से जुड़े थे, उन्होंने स्वयं को सेवा, राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित कर दिया और अटल जी के साथ मिलकर कार्य किया. वर्षों से उनके साथ हुई मेरी बातचीत हमेशा स्मरणीय रहेगी. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना. ओम शांति.”

अटलजी के पास लंबे समय से सबसे खास सिपहसालार रहे शिवकुमार पारीक जनसंघ के जमाने से ही उनके साथ थे. शिवकुमार, सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सहायक के तौर पर ही नहीं, बल्कि उनके हर राजनीतिक उतार-चढ़ाव में भी उनके साथ रहे. उनकी अनुपस्थिति में कई साल तक शिवकुमार ने ही लखनऊ संसदीय क्षेत्र को संभाला था. जब तक वाजपेयी स्वस्थ्य थे, उनके हर पारिवारिक कार्यक्रम में शरीक हुए.

जब से भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने अस्वस्थता के कारण राजनीतिक और सामाजिक जीवन में सक्रियता कम कर दी, तब से शिवकुमार ही उनकी दिनचर्या को संभालते रहे थे. दरअसल जनसंघ की जड़ें मजबूत करने के लिए अटल जी बगैर किसी सुरक्षा व्यवस्था के देशव्यापी भ्रमण पर रहते थे. किसी ने सुझाव दिया कि वाजपेयी को एक ऐसे सहयोगी की जरूरत है, जो उनकी रक्षा भी करे. काफी तलाश के बाद जयपुर के निवासी शिवकुमार का नाम सुझाया गया. शिवकुमार का अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ना किसी इत्‍तेफाक से कम नहीं था. पहले शिवकुमार आरएसएस के हार्डकोर स्वयंसेवक थे. अपने लम्बे-चौड़े गठीले शरीर और बड़ी रौबदार मूंछो के चलते वो औरों से अलग दिखते थे.

जब शिवकुमार ने कहा, अनाथ हो गया हूं

शिवकुमार पारीक ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद कहा था कि वह अब एक अनाथ हैं. परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त वह एकलौते ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें अटल जी की अंत्योष्टि के समय चिता के करीब जाने दिया गया था.

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