मार्गशीर्ष मास में की जाती है नंदलाल और शंख की पूजा, नदी स्नान से मिलता है अक्षय पुण्य

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

मार्गशीर्ष महीने में स्नान-दान, व्रत और पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है। मार्गशीर्ष महीने में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। कहते हैं जिस तरह कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विधान है ठीक उसी तरह मार्गशीर्ष के महीने में नंदलाल की आराधना श्रेष्ठ फलदायी होती है। इस पूरे महीने दोनों समय भगवान कृष्ण की विशेष रूप से पूजा अर्चना करनी चाहिए।

मार्गशीर्ष में क्यों पूजा जाता है शंख

मार्गशीर्ष के महीने में शंख की पूजा के पीछे  कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के पैरों में 19 अलग अलग तरह के चिन्ह मौजूद थे जिनमे से एक शंख भी था। शंख उनके तलवे पर अंगूठे के नीचे की ओर मौजूद था। जो शुभता का प्रतीक माना जाता है। अब चूंकि मार्गशीर्ष का महीना श्रीकृष्ण को अति प्रिय है इसीलिए इस महीने में उनसे जुड़े शुभ चिन्हों की पूजा भी महत्वपूर्ण मानी गई है।

नदियों में स्नान करने की परंपरा

अगहन मास में सुबह नदी स्नान करने का विशेष महत्व है। नदी में स्नान से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। अगर नदी में स्नान नहीं कर सकते तो अपने घर में ही नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए या पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। इस तरह घर पर ही तीर्थ स्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है। अगहन महीने के दौरान नदियों में स्नान करने से पाप खत्म हो जाते हैं।

सुख-समृद्धि के लिए शंख और लक्ष्मी पूजा

इस महीने में शंख पूजा करने की परंपरा है। अगहन महीने में किसी भी शंख को श्री कृष्ण का पांचजन्य शंख मानकर उसकी पूजा की जाती है। इससे भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस महीने देवी लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है। इसी कारण लक्ष्मी पूजा में शंख को भी खास तौर से रखते हैं। लक्ष्मी जी और शंख पूजा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है।

श्री कृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल की पूजा करें

अगहन महीने में हर दिन श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र बोलते हुए शंख से अभिषेक करें। इसके बाद वैजयंती के फूल, तुलसी पत्र और मोरपंख चढ़ाएं। पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं। सुगंधित चीजें चढ़ाएं और पीली मिठाई या माखन मिश्री का नैवेद्य लगाएं। इस तरह श्री कृष्ण की पूजा करने से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं।

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