सुप्रभातम् :सक्षम व्यक्ति कमजोर की शक्ति बढ़ा देता है

हिमशिखर धर्म डेस्क

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हनुमानजी, भगवान राम और सुग्रीव की दोस्ती करा चुके थे। सुग्रीव ने भगवान राम को अपनी समस्या बताई। उसके भाई बालि ने उसे राज्य से निकाल दिया था, उसकी पत्नी रोमा को भी अपने पास रख लिया था। वो दुःखी था, बालि के मुकाबले कमजोर भी था, इसलिए अपने साथियों के साथ ऋष्यमुक पर्वत पर रह रहा था।

भगवान राम ने उसकी समस्या सुनी और उसे भरोसा दिलाया कि उसे उसका राज्य और पत्नी दोनों ही वापस मिल जाएंगे। इसके बाद भगवान राम ने अपनी समस्या सुनाई। उन्होंने बताया कि पंचवटी से किसी ने सीता का हरण कर लिया है। वो और लक्ष्मण दोनों उन्हें खोज रहे हैं।

इतना सुनते ही सुग्रीव ने अपने सेवक वानरों से कहा कि वो वस्त्र और आभूषण लाओ जो हमें प्राप्त हुए थे। राम चौंक गए। पूछा- कौन से वस्त्र और आभूषण?

सुग्रीव ने कहा कुछ दिनों पहले मैं और मेरे सहायक पहाड़ पर बैठे थे, तभी हमने देखा किसी विमान में कोई दुष्ट पुरुष किसी स्त्री का हरण करके ले जा रहा है। वो रो रही थी। सहायता मांग रही थी। संभवतः हमें देख कर उन्होंने अपने वस्त्र में बांध कर कुछ आभूषण हमारे पास फेंक दिए थे, शायद कोई उसे खोजने आए और ये आभूषण देखकर उसे सहायता मिल सके।

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वस्त्र और आभूषण लाए गए। भगवान राम ने उन्हें देखा। देखते ही पहचान गए। ये सीता के ही हैं। सीता की निशानियां देख कर राम दुःखी हो गए। उनकी आंखों से आंसू झरने लगे। सब लोग ये देख रहे थे। माहौल उदासी से भर गया।

तभी सुग्रीव ने कहा- भगवन, आप दुःखी क्यों होते हैं? मैं आपकी सहायता करूंगा। मेरी वानर सेना चारों दिशाओं में जाकर माता सीता की खोज करेगी। वे कहां हैं, किस हाल में हैं ये हम शीघ्र पता लगा लेंगे।

सुग्रीव की बातें सुनकर भगवान सामान्य हुए। उनके चेहरे पर एक विश्वास की चमक आ गई।

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सबकः सुग्रीव कमजोर था। खुद अपना राज्य और स्त्री खोकर जंगल में एक पर्वत पर रह रहा था। लेकिन, जब हनुमान जी ने राम जी से उसकी मैत्री कराई, उसमें साहस आ गया। कोई सक्षम व्यक्ति जब आपसे जुड़े, तो उसके सामने बातें भी साहस भरी करनी चाहिए। इससे माहौल में सकारात्मकता आती है।

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